हरिद्वार में निकली तीन रूसी दूल्हों की बारात !
धर्मनगरी हरिद्वार में हिंदू रीति रिवाज के साथ विवाह किया और एक दूसरे को जन्म जन्मांतर के लिए अपना जीवन साथी चुना।
हिन्दू रीतिरिवाजों का पालन असल मायने में विदेशी लोग भारत आकर कर रहे भारत की संस्कृति उनको इतनी अच्छी लगती है की भारत के रंग में विदेशी बहुत ही आसानी से ढल जाते है वृंदावन में अधिकतर श्रद्धालु विदेशी ही होते है जो की बड़े की प्रेम से पूजा अर्चना करते है। आपको बता दे की कुछ विदेशियों ने भारत आकर हिन्दू रीती रिवाजो का सम्मान करते हुए भारतीय शादियों की तरह अपनी शादी की है जो की हमारे भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है धर्मनगरी हरिद्वार में हिंदू रीति रिवाज के साथ विवाह किया और एक दूसरे को जन्म जन्मांतर के लिए अपना जीवन साथी चुना।
कुछ विदेशियों ने अपनायी भारतीय संस्कृति
हरिद्वार के अखंड परमधाम में पहुंचे रूसी जोड़ों में लैरिसा ने यूरा के साथ, एलसी ने रुशलम के साथ और विक्टोरिया ने मैटवी के साथ वैदिक परंपरा के अनुसार विवाह किया। जोड़ों को आशीर्वाद देने के लिए संत बराती बनकर पहुंचे। विवाह में विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी, श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम, जिला धर्माचार्य संपर्क प्रमुख मयंक चौहान, बजरंग दल के पूर्व जिला संयोजक विकास प्रधान समेत बड़ी संख्या में संत शामिल हुए। सेंट पीटर्सबर्ग, मास्को व अन्य शहरों के अंग्रेज भी बाराती बनकर रूस से हरिद्वार आए थे।
शादी में बजे पहाड़ी गाने
वर और वधु को उन्होंने भारतीय संस्कृति के अनुरूप मंडप में आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान रूस से आए करीब 25 सदस्यों के दल ने खूब मस्ती की।बरात में गढ़वाली और कुमाऊंनी गीतों की धुन भी बजी। बैग पाइपर, ढोल और दमांऊ की थाप पर रूसी बराती खूब थिरके। उनके इस अंदाज को देखने वाले भी सहज उनकी बरात में शामिल हो गए।
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