रिसर्च से 20 साल पहले लग जाएगा बीमारी का पता, जाने पूरी खबर !
पार्किंसंस रोग में हाथ-पैर या शरीर के विभिन्न हिस्से कांपने लगते हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की मांसपेशियां संबंध बनाए रखने से ठीक से काम नहीं कर पाती हैं।
पार्किंसंस रोग में हाथ-पैर या शरीर के विभिन्न हिस्से कांपने लगते हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की मांसपेशियां संबंध बनाए रखने से ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे मोटर समन्वय समस्या कहा जाता है।
बीमारी का शुरुआती चरण में पता लगाना मुश्किल
कई लोग पार्किंसंस रोग को बुढ़ापे की समस्या मानते हैं। लेकिन असल में यह बीमारी अधेड़ उम्र में भी हो सकती है। यदि यह रोग एक बार हो भी जाए तो इसका प्रभाव जीवन भर रहता है। इस बीमारी का शुरुआती चरण में पता लगाना भी मुश्किल होता है। जब तक बीमारी का पता चलता है, तब तक 85 प्रतिशत तंत्रिका क्षति खराब हो चुकी होती है। इससे डॉक्टरों के लिए बीमारी का इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
इस विधि से 20-30 साल पहले ही बीमारी का लगाया जा सकता है पता
हाल ही में फ्लोरिडा में इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ के शोधकर्ताओं ने एक खास तरीका खोजा है। इस विधि से 20-30 साल पहले ही बीमारी का पता लगाया जा सकता है। F-AV-133 नामक बायोमार्कर का उपयोग किया जा रहा है। यह पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी या पीईटी तकनीक के साथ है। इस तकनीक की मदद से पहले ही यह समझा जा सकता है कि पार्किंसंस रोग के लिए जिम्मेदार न्यूरॉन्स नष्ट हो रहे हैं या नहीं। और अगर यह खराब होने लगे तो तुरंत कार्रवाई की जा सके।
हैशटैग भारत की हिन्दी वेबसाईट के लिए आप यहां www.hashtagbharatnews.com क्लिक कर सकते हैं। आप हमें Facebook, Twitter, Instagram और Youtube पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।