Monkey Pox: बढ़ रहे हैं मंकीपॉक्स के मामले ! कब आएगी वैक्सीन
Monkey Pox: दिल्ली में मंकी पॉक्स के 2 और नए मामले बिहार में भी मिला एक संदिग्ध
केरला और दिल्ली के बाद अब उत्तर प्रदेश और बिहार सहित कई राज्यों मंकी पॉक्स ने दस्तक दे दी है। जी हाँ कोरोना वायरस के बाद अब मंकी पॉक्स लोगों को डारने लगा है। देश के कई राज्यों में मंकीपॉक्स के मरीजों के मिलने के बाद बिहार में भी एक संदिग्ध मरीज मिल गया है. जिस महिला में मंकीपॉक्स के लक्षण मिले हैं वो पटना सिटी की रहने वाली है.
वहीँ साथ ही दिल्ली एनसीआर के गाजियाबाद क्षेत्र से मंकीपॉक्स के 2 नए केस सामने आए है. जिसमे से एक का सैंपल पुणे जाँच के लिए भेजा गया है। जबकि दूसरा दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में भर्ती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि की (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स को पहले ही अंतरराष्ट्रीय चिंता का वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर रखा है. आपको बता दें की फ़िलहाल भारत में अब तक चार मरीजों की पुष्टि हो चुकी है और 2 संदिग्ध मरीज है जिनका जाँच चल रही है।
दुनिया भर में पैर पसार चुका है मंकी पाॅक्स-
आपको बता दें कि दुनिया के कई देशों में पैर पसार चुके मंकीपॉक्स ने भारत में भी पैर पसारना शुरू कर दिया है. हालांकि, अभी तक इस बीमारी से भारत में किसी की मौत नहीं हुई है. अफ्रीका में मंकीपॉक्स से पांच लोगों की मौत की खबर है. वैश्विक स्तर पर, पिछले सात महीनों में इस बीमारी के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। जिस तेजी से मंकीपॉक्स का वायरस फैल रहा है, उससे अब इस बात की आशंका भी बढ़ती जा रही है कि क्या ये भी कोरोना की तरह फैल जाएगा? लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है की ये कोरोना से काम संक्रामक है और अगर हम उचित दूरी बनाये रखें मास्क का प्रयोग करे तो इससे बचा जा सकता है।
वहीँ मंकी पॉक्स के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को सतर्क रहने को जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दे दिए है जिसके बाद संक्रमण केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक अलर्ट पर हैं. राज्य सरकारों ने अपने यहां सरकारी अस्पताल में कुछ बेड मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों और संक्रमितों के इलाज के लिए रिजर्व रखे हैं.
क्या है इलाज-
वहीँ अगर इसके इलाज की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मंकीपॉक्स का अभी कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है. हालांकि, मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के 2 से 4 हफ्ते अपने आप ही ठीक हुआ जा सकता है. इसके अलावा चेचक की वैक्सीन भी मंकीपॉक्स पर 85% तक असरदार साबित हुई है.
लेकिन जानकरी के मुताबिक डेनमार्क की कंपनी बवेरियन नॉर्डिक ने मंकीपॉक्स के खिलाफ पहले ही एक टीका विकसित कर लिया है और यह विभिन्न बाजारों में ब्रांड नाम जीनियोस, इम्वाम्यून के तहत उपलब्ध है. सीरम इंस्टिट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूनावाला ने कहा कि “मेरी टीम अभी उनसे बात कर रही है. बड़ी मात्रा में टीके के लिए हम सही मांग और आवश्यकता के आधार पर फैसला करते हैं.”
गौरतलब है की हमें फ़िलहाल इस नए वायरस से अपने आप को सुरक्षित रखना है ताकि कोरोना जैसे हालत एक बार फिर से उत्पन्न न हो।