सुरक्षा बढ़ाने के लिए रेल को अधिक ग्लेज़िंग की आवश्यकता, कोरोमंडल हादसे ने खड़े किये कई सवाल !
शुक्रवार को हुए भीषण करमंडल ट्रेन हादसे के बाद नई ट्रेनों और आधुनिक स्टेशनों के साथ ही सुरक्षा पर फिर से सवाल उठने लगे हैं

शुक्रवार को हुए भीषण करमंडल ट्रेन हादसे के बाद नई ट्रेनों और आधुनिक स्टेशनों के साथ ही सुरक्षा पर फिर से सवाल उठने लगे हैं देश के सबसे भीषण रेल हादसे में कम से कम 261 लोगों की जान चली गई। आपको बता दें भारतीय रेलवे दुनिया में चौथा सबसे बड़ा ट्रेन नेटवर्क संचालित करता है। भारतीय रेल में रोजाना 1.3 करोड़ यात्री सफर करते हैं। भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश की जीवन रेखा है। 170 साल पुरानी रेलवे प्रणाली भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचे और परिवहन में सुधार के उत्प्रेरकों में से एक रही है। और इसी बुनियाद को और मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेजी से विस्तार और आधुनिकीकरण पर जोर दिया है।
शुक्रवार को हुई घटना में रेलवे को बड़ा झटका
इस साल सरकार ने रेलवे पर खर्च के लिए रिकॉर्ड 2.4 लाख करोड़ रुपए (30 अरब डॉलर) आवंटित किए हैं। जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है , पैसा पटरियों के उन्नयन, भीड़ को कम करने और नई ट्रेनों को जोड़ने पर खर्च किया जाएगा।हालांकि शुक्रवार को हुई इस घटना में रेलवे को बड़ा झटका लगेगा।
श्रमिकों को ठीक से प्रशिक्षित नहीं
मध्य भारत के चिरोडीमल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रकाश कुमार सेन ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा रिकॉर्ड में सुधार हुआ है। लेकिन अभी और भी बहुत काम किया जाना है।’ ऐसी घटनाओं के लिए आमतौर पर मानवीय भूल या ट्रैक के रखरखाव में कमी जिम्मेदार होती है। यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रेलवे अधिक संख्या में ट्रेनें चला रहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि इसके रखरखाव के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं रखा गया है. श्रमिकों को ठीक से प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। या उन पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है। उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता।
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