#गंगा दशहरा 2022 : इन खास स्नान के पाए तन व मन से शुद्धि !

गंगा-दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा करने वाले की धूप; गहरा; नैवेद्य आदि के साथ विधिवत पूजा करने से भक्त उपवास करता है

“गंगा दशहरा” का पर्व प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन मां गंगा ( Mother Ganga ) स्वर्ग से धरती पर आई थीं। गंगा-दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा करने वाले की धूप; गहरा; नैवेद्य आदि के साथ विधिवत पूजा करने से भक्त उपवास करता है। वह शारीरिक-मुखर-मानसिक तीन गुना पापों से मुक्त हो जाता है।

दस प्रकार के स्नानों को बताता है

“गंगा-दशहरा” के दिन ‘दशविद-स्नान’ का बहुत महत्व है। इस दिन ‘दशविधि-स्नान’ करने वाले साधक को अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। दशाविद-स्नान शास्त्रों द्वारा वर्णित दस प्रकार के स्नानों को बताता है। आइए जानते हैं कि दशाविद स्नान के अंतर्गत कौन-कौन से दस प्रकार आते हैं-

1. गोमूत्र से स्नान : इसमें गाय के मूत्र से स्नान किया जाता है।
2. गोमय से स्नान : इसमें गाय के गोबर से स्नान किया जाता है।
3. गौदुग्ध से स्नान : इस प्रकार के स्नान में गाय के दूध से नहाया जाता है।
4. गौदधि से स्नान : गाय के दही से इस प्रकार के स्नान में प्रयोग किया जाता है।
5. गौघृत से स्नान : इस तरह के स्नान में गाय के घी का प्रयोग किया जाता है।
6. कुशोदक से स्नान : इस विशेष प्रकार के स्नान में कुश को पानी में डालकर उसका प्रयोग किया जाता है ।
7. भस्म से स्नान : इस विशेष स्नान में भस्म का प्रयोग किया जाता है।
8. मृत्तिका (मिट्टी) से स्नान : मिट्टी का इस्तेमाल इस प्रकार के स्नान में किया जाता है।
9. मधु (शहद) से स्नान : शहद का इस्तेमाल इस प्रकार के स्नान में किया जाता है।
10. पवित्र जल से स्नान : इस तरह के स्नान में शुद्ध जल का इस्तेमाल किया जाता है।

इस सभी वस्तुवों का इस्तेमाल आप अपनी सामर्थ के अनुसार तिलक का रभी स्नान कर सकते है।

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