# झारखण्ड : बीजेपी सांसद का सीएम को चैलेंज कहा ‘ मुख्यमंत्री जी अगस्त पार कर लें ‘

शेल कंपनी केस में सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला सुरक्षित रखने के साथ हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगने के बाद झामुमो इससे राहत महसूस कर रही

झारखण्ड की सियासत में ‘जुबानी तीर’ के बाद अब ‘हथगोलों’ का भी दौर शुरू हो गया है। सत्ता पार्टी झामुमो के नेता जहां विपक्ष पर बयानों के गोले बरसा रहे है तो वहीँ दूसरी तरफ भाजपा भी जवाबी हमला कर रही है।

मैदान भले ही अलग, लेकिन तरीका आक्रामक

दोनों पार्टियों का एक दूसरे पर हमला करने वाला मैदान भले ही अलग हो लेकिन तरीका आक्रामक है। अभी हाल ही में शेल कंपनी केस में सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला सुरक्षित रखने के साथ हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा इससे राहत महसूस कर रही हो। लेकिन विपक्षी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्विटर से कुछ और सन्देश देने की कोशिश की।

मरांडी जी के साथ हरिद्वार निकल लीजिए

आपको बता दें झामुमो ने सुप्रीम कोर्ट के आदर्श का जिक्र करते हुए कहा था कि ”हमारे मुंगेरीलाल निशिकांत दुबे जी कुछ सुने की नहीं की माननीय सुप्रीम कोर्ट क्या कह रहा है। ख्याली पुलाव की दुनिया से बाहर आइए और माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी के बारे में क्या कहा गया उसे जानिए और सीधा बाबूलाल मरांडी जी के साथ हरिद्वार निकल लीजिए। शायद कुछ पाप धुल जाए।”

मुख्यमंत्री जी अगस्त पार कर लें

तो वहीं इसपर पलटवार करते हुए भाजपा सांसद ने धमकी भरे अंदाज से कहा कि ” सौ सुनार की एक लोहार की। मुख्यमंत्री जी अगस्त पार कर लें। ” गौरतलब होकि इससे पहले दुमका पहुंचे दुबे ने कहा था कि 31 अगस्त तक कई उथल-पुथल हो सकती है। साथ ही कहा था कि दुमका और बरहेट निर्वाचन क्षेत्रों पर उपचुनाव हो सकते हैं। अपने दिए बयान में सांसद ने कहा कि दुमका चार दशकों से एक ही परिवार के कब्जे में है और अब यह विलुप्त हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने की मामले की सुनवाई 

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीएम के करीबियों के शेल कंपनी चलाने व सीएम को खनन लीज आवंटित करने के मामले की सुनवाई बुधवार को पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की थी। न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट में दोनों याचिकाओं की सुनवाई पर भी रोक लगा दी है।

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