मंकीपॉक्स(monkeypox)वायरस से क्या आपको परेशान होने की ज़रूरत है ?
कोरोना महामारी से अब तक दुनिया पूरी तरह उबर भी नहीं सकी है कि एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है। मंकीपॉक्स का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है।
कोरोना महामारी से अब तक दुनिया पूरी तरह उबर भी नहीं सकी है कि एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है। मंकीपॉक्स का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना वायरस महामारी के संकट के बीच इस खतरनाक बीमारी ने दुनियाभर में चिंता पैदा कर दी है। बताया जा रहा है कि यह रोग 12 से ज्यादा देशों में फैल गया है और अब तक इसके 100 से ज्यादा पुष्ट मामले हो चुके हैं। हालांकि इससे अब तक किसी मरीज की मौत नहीं हुई है।
11 देशो में फ़ैल रहा ये वायरस
मंकीपॉक्स से अफ्रीका के लोग लंबे वक्त से पीड़ित रहे हैं। साल 1958 में पहली बार इसकी पहचान बंदरों में की गई जिस पर इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा। मंकीपॉक्स, एक ऐसी बीमारी जो दशकों से अफ्रीकी लोगों में आम है लेकिन अब वो दुनिया के अन्य देशों में भी फैल रही है। खासकर अमेरिका, कनाडा और कई यूरोपीय देशों में इसके मामले सामने आ रहे हैं। 11 देशों में अब तक 80 मामले पाए जा चुके हैं। शोधकर्ताओं ने इस वायरस के दो वेरिएंट की पहचान की है, एक मध्य अफ्रीका का वेरिएंट जो अधिक लक्षणों वाली बीमारी का कारण बनता है, और दूसरा पश्चिम अफ्रीका में पाए जाने वाला वेरिएंट जो मामूली लक्षणों वाले संक्रमण का कारण बनता है।
ब्रिटेन के सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यालय में राष्ट्रीय संक्रमण सेवा के उप निदेशक निक फिन ने कहा, “इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि मंकीपॉक्स लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता है और आम जनता के लिए जोखिम बहुत कम है। ” मंकीपॉक्स वायरस चेचक का कारण बनने वाले वायरस से काफ़ी मिलता-जुलता है इसलिए चेचक के टीके को भी दोनों रोगों के लिए प्रभावी माना गया है।यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि मंकीपॉक्स के संक्रमण के लिए वर्तमान में कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन दवा के साथ इसके फैलने को नियंत्रित किया जा सकता है।
बहु-राष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी
मंकीपॉक्स की रोकथाम और उपचार के लिए एक बहु-राष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी पा चुकी वैक्सीन “JYNNEOSTM” भी उपलब्ध है जिसे इम्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है। इस वैक्सीन को डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नॉर्डिक बनाती है।