# जानलेवा वायरस : गायों को ग्रास बनाने के बाद अब ये वायरस लाया सूअरों पर आफत !
निरीक्षण रिपोर्ट में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई, हालांकि अच्छी बात यह है कि इससे इंसानों या अन्य जानवरों को कोई खतरा नहीं
अभी कुछ ही दिन पहले राजस्थान में जिस तरीके से लंपी चर्म रोग के कारण प्रदेश में अब तक छह हजार गायों की मौत का आंकड़ा रुक नहीं रहा था कि मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मऊगंज में अब सुअरों पर एक नए वायरस ने हमला बोल दिया है।
अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई
शहरी क्षेत्रों में सूअर मर रहे है। जिससे चरवाहों के साथ-साथ आसपास रहने वाले लोगों में चिंता बढ़ गई थी। लगातार सुअरों की मौत के बाद भी पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने पशुओं का टीकाकरण शुरू किया और उनके नमूने जांच के लिए भेजे गए। निरीक्षण रिपोर्ट में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई, जो सूअरों को मार रहा था। हालांकि, अच्छी बात यह है कि इससे इंसानों या अन्य जानवरों को कोई खतरा नहीं है।
जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी
मध्य प्रदेश के रीवा में सुअरों की महामारी के साथ अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने दस्तक दे दी है। रीवा जिले के 11 नमूनों में एएसएफ संक्रमण का पता चला | जिन्हें परीक्षण के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल भेजा गया था। संस्थान ने जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। रीवा कस्बे के वार्ड 15 के धोबी टंक क्षेत्र में सुअर रोग की सूचना मिली थी। लक्षणों के आधार पर बीमार सूअरों के नमूने जांच के लिए भोपाल भेजे गए, जिसमें वायरस की पुष्टि हुई है।
ऐसे की जाती है पुष्टि
संक्रमण के कारण सूअरों में तेज बुखार होता है। बुखार के साथ एनोरेक्सिया, भूख न लगना, त्वचा से खून बहना, उल्टी और दस्त होते हैं। हालांकि जानकारों की माने तो अभी तक कोई दवा या वैक्सीन विकसित नहीं हो पाई है। हालांकि इससे दूसरे जानवरों या इंसानों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन इस तरह का वायरस बहुत खतरनाक होता है। किसी भी एक सुअर में यदि ऐसा होता है तो उनकी मृत्यु निश्चित मानी जाती है।
ये बरते जाते है एहितियात
अफ्रीकन स्वाइन फीवर के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार, जहां एएसएफ संक्रमण का पता चला है, वहां से एक किलोमीटर के दायरे में सूअरों को मार दिया जाता है। अन्य जानवरों को संक्रमण से बचाने के लिए। इसके अलावा तीन किलोमीटर के दायरे में सभी जानवरों का सैंपल लेकर निरीक्षण करना है।