जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, जुबैर के खिलाफ एफआईआर ‘प्रक्रिया का दुरुपयोग’ है

एफआईआर दर्ज करने व गिरफ्तारी के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा हो रही

जुबैर को राहत पर सुनवाई कल

 

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यूपी में दर्ज पांच एफआईआर में किसी तरह की त्वरित कार्रवाई पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने जुबैर की अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर पर यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट अब बुधवार को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा।

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा, शीर्ष अदालत द्वारा सीतापुर में दर्ज एक मामले में उन्हें जमानत दिए जाने के बाद से पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई का दुष्चक्र चल रहा है। ऐसा लगता है कि सभी प्राथमिकी की सामग्री एक जैसी ही है। पीठ ने कहा, हम 20 जुलाई, 2022 को इस मामले को सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं।

इस बीच याचिकाकर्ता के खिलाफ इस अदालत की अनुमति के बिना पांच प्राथमिकी में से किसी के भी संबंध में कोई त्वरित कदम नहीं उठाया जाएगा। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल जनरल तुषार मेहता से इस मामले में अदालत की सहायता करने के लिए भी कहा। इससे पहले जुबैर को यूपी के सीतापुर में दर्ज प्राथमिकी में उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी। वहीं दिल्ली में दर्ज प्राथमिकी में जुबैर को जमानत मिल चुकी है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी में कहा, जब एक मामले में जमानत दी जाती है तो उसके खिलाफ नया मामला लाद दिया जाता है। यहां पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई का दुष्चक्र जारी है। जुबैर के खिलाफ यूपी के सीतापुर, लखीमपुर खीरी, मुजफ्फरनगर व गाजियाबाद में एक-एक और हाथरस में दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

एफआईआर दर्ज करने व गिरफ्तारी के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा हो रही

जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, जुबैर के खिलाफ एफआईआर ‘प्रक्रिया का दुरुपयोग’ है। एफआईआर दर्ज करने या उसे गिरफ्तार करने के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा की गई है। यह कहा गया था कि हिंदुओं और हिंदू देवताओं पर निरंतर हमलों को रोकने के लिए प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और इसे धर्म के आधार पर निपटना चाहिए।

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