इटावा जनपद का एक ऐसा गांव, जहाँ आज़ादी के बाद से अब तक नहीं बनी सड़के !

इटावा जनपद के सदर तहसील की ग्राम पंचायत सितोरा के गांव बूसा में जहाँ आजादी के बाद भी गाँव में पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं बना है।

इटावा जनपद के सदर तहसील की ग्राम पंचायत सितोरा के गांव बूसा में जहाँ आजादी के बाद भी गाँव में पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं बना है। देश तो आजाद हुआ लेकिन गाँव के लोग आज भी विना आजादी के जीवन यापन कर रहे है कई दशकों से ग्राम प्रधान एवं विधायक और सांसद जैसे नेताओं का कार्यकाल बदला लेकिन किसी ने गाँव में पहुंचने के लिए रास्ता नहीं बनबाया गया बूषा गाँव में कोई महिला या बुजुर्ग बीमार होता है। तो कोई एम्बुलेश या फायर बिग्रेड जैसी गाड़ियां गांव में नहीं पहुंचती है। गांव में महिला प्रशव के लिए काफी दूर तक चारपाई से ले जाना पड़ता है।

आजादी के बाद गाँव में रास्ता न होना एक हैरान कर देने वाली तस्वीर है।

समय पर अस्पताल न पहुंचने पर कई बार लोगों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया है उत्तर प्रदेश सरकार भले ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को लेकर मुहीम चला रही हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कई गाँव के लोग नारकीय जीवन यापन कर रहे है। गाँव में अच्छी शिक्षा के लिए बच्चे रास्ता न होने के कारण कॉलेजों में नहीं पहुंच पाते है। बूसा गाँव मुख्यालय से सिर्फ 10 किलोमीटर का रास्ता है।

जहाँ सदर विधायकों का क्षेत्र माना जाता है लेंकिन आज भी गाँव में पहुंचने का कोई रास्ता नहीं बनाया गया सदर विधान सभा क्षेत्र में भाजपा विधयिका सरिता भदौरिया दूसरी बार विधायक बनी। लेकिन चुनाव के बाद गाँव की तरफ मुड़कर नही देखा वही भाजपा सांसद डॉ रामशंकर कठेरिया का भी क्षेत्र आता है। लेकिन बूसा गाँव की तरफ नजर किसी की नहीं जाती है आजादी के बाद गाँव में रास्ता न होना एक हैरान कर देने बाली तस्वीर है।

कौन सी सरकार आएगी जो गांव के लिए रास्ता बनाएगी

बारिश के समय गांव के लोगों को पैदल चलना मुश्किल हो जाता है आखिर ग्रामीणों ने कहा कौन सी सरकार आएगी जो हमारे गांव के लिए रास्ता बनबायेगी ग्रामीणों ने बताया आजादी के बाद से लगातार बोट डालते आ रहे है। और बोट के समय किये गये झूठे दावों का इंतजार करके थक गए है।  लेकिन गांव के लिए रास्ता नहीं मिला एक बार ग्रामीणों ने मिलकर रास्ता के लिए आवाज उठाई है। अब देखना होगा आखिर गाँव के लिए प्रशासनिक अधिकारी कोई रास्ता के लिए हल निकालेंगे।

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