मेक्सिको के राष्ट्रपति क्यों चाहते है पीएम मोदी का साथ !

मेक्सिको के राष्ट्रपति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिये UNO के समक्ष एक आयोग का गठन करने का प्रस्ताव रखने की बात किया।

मेक्सिको के राष्ट्रपति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिये UNO के समक्ष एक आयोग का गठन करने का प्रस्ताव रखने की बात किया। जिसमे सदस्य के रूप में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल करने की बात भी कही है।


दरअसल , मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ने पिछले हफ्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर(Andres Manuel Lopez Obrador) ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र के सामने एक आयोग के गठन का प्रस्ताव रखेंगे। इस आयोग में सदस्य के रूप में तीन महारथी नरेंद्र मोदी, पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को शामिल किया जयेगा।

क्या है उद्देश्य

इस आयोग के गठन के पीछे का उद्देश्य पांच साल के वैश्विक संघर्ष को सुनिश्चित करने का हैं। ओब्रेडोर ने कहा कि तीनों लोग( नरेंद्र मोदी, पोप फ्रांसिस और एंटोनियो गुटेरेस) दुनिया भर में युद्धों को रोकने के लिए काम करेंगे और रूस, चीन और अमेरिका को उनकी मध्यस्थता को स्वीकार करना चाहिए।

Andres Manuel Lopez Obrador ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि,“यह आवश्यक है कि तीन महान शक्तियों – रूस, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका इस मध्यस्थता को स्वीकार करें, जैसा कि हम प्रस्ताव कर रहे हैं कि भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र महासचिव, एंटोनियो गुटेरेस और पोप फ्रांसिस यह तीनों एक साथ मिलकर जल्द ही हर जगह युद्ध को रोकने का प्रस्ताव और शांति बनाये रखने का काम करेंगे।”

ओब्रेडोर ने कहा कि हमे सैन्य टकराव को रोकने के लिए बातचीत का विकल्प चुनना चाहिए ना कि बल का प्रयोग करना चाहिये। साथ ही उन्होंने टकराव को रोकने के पीछे का वज़ह बताते हुए कहा कि टकराव में अकसर बमबारी में कई निर्दोष लोगो को अपनी जान गवानि पड़ती हैं , जैसा की अभी यूक्रेन में हो रहा है। इसलिए देशों के बीच शांति बनाये रखने के लिए हमे टकराव से बचने प्रयास करना होगा।

संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करें

ओब्रेडोर के अनुसार, यह प्रस्ताव संघर्ष विराम ताइवान, इज़राइल और फिलिस्तीन के मामले में समझौतों तक पहुंचने में मदद करेगा, और अधिक टकराव को बढ़ावा देने में रोक लगयेगा। इसके अलावा, उन्होंने आग्रह किया कि दुनिया भर की सभी सरकारों को संयुक्त राष्ट्र के समर्थन में शामिल होना चाहिए, न कि नौकरशाही तंत्र में जिसमें प्रस्ताव और पहल प्रस्तुत की जाती हैं।
आपको बता दे कि आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस गठन प्रस्ताव के बारे में अभी तक किसी की ओर से कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है।

 

 

 

 

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