ई मंडी क्या है? जानिए कितने किसान अब तक जुड़े!
केंद्र सरकार की तरफ से कृषि क्षेत्र में कई तेरह के कार्य किये जा रहे है। भारत एक कृषि प्रधान देश है।
न्यूज़ डेस्क : केंद्र सरकार की तरफ से कृषि क्षेत्र में कई तेरह के कार्य किये जा रहे है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। आज भी भारत की कुल आबादी में से लगभग 70 प्रतिशत आबादी खेती-किसानी का काम करते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लिया जा रहा सहारा
किसानों को भारत के अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है। लेकिन देश के अन्नदाता की आर्थिक स्थिति की बात की जाये तो सिर्फ आंदोलन और समझौतों के आगे बात नहीं बढ़ पाती। देश में किसानो की हालात को देखते हुए केंद्र सरकार बदलते समय के साथ कृषि विभाग में विकास के लिए कई तरह के योजनाओं का ऐलान करते रहते हैं। कृषि के लिए अब आधुनिक उपकरणों से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक का सहारा लिया जा रहा है। इन्ही प्रयासों में से एक है मंडियों को डिजिटल किया जाना है।
क्या है ई मंडी
ई-मंडी नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट या कृषि मंडियों को जोड़ने वाले इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच का नाम है। जो वर्तमान में पूरे देश में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी को एक नेटवर्क में जोड़ता है। साल 2016 में ई-नाम योजना के तहत मंडियों के डिजिटलीकरण की शुरुआत की गई थी। इस पोर्टल का मकसद एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है। जिससे किसानों को उत्पादों का उन्हें ज्यादा और उचित दाम मिल सके। इस पोर्टल की मदद से किसान घर बैठे ई-मंडियों में अपना भी सामान बेच सकते हैं।
कब हुई ई-मंडी की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल 2016 को ई-नाम योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाना था। यह ऑनलाइन मंडी किसानों और कृषि कारोबारियों के बीच इतनी ज्यादा हिट रही कि साल 2017 तक जिस ई-मंडी से केवल 17 हजार लोग जुड़े थे उससे अब 1.68 करोड़ किसान, व्यापारी और एफपीओ रजिस्टर्ड हो चुके हैं। दरअसल भारत में किसी भी कृषि उत्पादों को एक राज्य से दूसरे राज्य में बेचने की प्रक्रियाएं थोड़ी जटिल हैं। इस जटिल प्रक्रिया से बचने के लिए अक्सर ही किसान अपनी उपज को कम कीमत पर बेच देते हैं।
कृषि कारोबार के लिए एक अनूठी पहल
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार ई-नाम यानी डिजिटल मंडी भारत के कृषि कारोबार के लिए एक अनूठी पहल है। अनाज लेकर खुद मंडी तक जाने और अपना सामान बेचने की तुलना में ई-मंडियों पर खरीद बिक्री करना काफी आसान हो जाता है। ई मंडी किसानों के लिए एक पोर्टल है जिस पर कोई भी किसान अपने उत्पाद का डिटेल अपलोड कर सकता है और देश के किसी भी कोने से किसी भी खरीददार को वह उत्पाद खरीदना है तो वह सीधा किसान से संपर्क कर सकता है।
ई मंडी या डिजिटल मंडी
ई मंडी या डिजिटल मंडी ऐसी सुविधा है जिससे किसी भी राज्य के किसानों को अपने उत्पाद का वास्तविक मूल्य पता चल जाएगा। परिणामस्वरूप उन किसानों को उन्हें अच्छे दाम भी मिलेंगे और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के कारण पैसे भी समय पर मिल जाएंगे। इस माध्यम से किसान सीधे थोक विक्रेताओं से जुड़ पाएंगे।
अब तक कितने किसान जुड़े
साल 2016 को इस योजना की शुरुआत 21 मंडियों के साथ की गई थी. साल 2020 तक इस बाजार से 18 राज्यों के 1,66,06,718 किसान, 977 एफपीओ, 70,910 कमीशन एजेंट और 1,28,015 व्यापारी जुड़े चुके थे. भारत फिलहाल 585 कृषि उपज मंडियां ई-नाम पोर्टल से जुड़ी हुई हैं। इस पोर्टल का मकसद पूरा देश को एक मंडी क्षेत्र बनाना है।