भाजपा से टिकट कटने के बाद पीलीभीत की जनता को वरुण गांधी ने लिखी चिट्ठी !

टिकट कटने के बाद सांसद वरुण गांधी के समर्थकों में सन्नाटा सा पसर गया था। सांसद के निजी सचिव कमलकांत ने यहां पहुंचकर नामांकन पत्र खरीदे थे।

BJP ने 24 मार्च को सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर उनके स्थान पर लोक निर्माण विभाग मंत्री जितिन प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया है। टिकट कटने के बाद सांसद वरुण गांधी के समर्थकों में सन्नाटा सा पसर गया था। सांसद के निजी सचिव कमलकांत ने यहां पहुंचकर नामांकन पत्र के चार सेट खरीदे थे। जिसके बाद यह माना जा रहा है कि वह चुनाव लड़ेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका ,वही वरुण गांधी में काफी भाव आजकल नजर आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत की जनता को पत्र लिखा है।

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3 साल का छोटा सा बच्चा याद आया

वरुण गांधी ने अपने पत्र की शुरुआत बड़े ही भावुक तरीके से की ,उन्होंने लिखा, “आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है, मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उँगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे। उन्होंने आगे लिखा ,“मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे सालों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है।

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पीलीभीत से सांसद रहना है ,वरुण गांधी का सम्मान

पीलीभीत से सांसद रहने को वरुण गांधी ने खुदके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताया है ,उन्होंने कहा, “आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है। एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। ”

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नामांकन पर्चा खरीदा फिर भी चुनाव नहीं लड़ सके

आपको बता दें कि पीलीभीत में 25 साल से वरुण और मेनका गांधी चुनाव लड़ रहे हैं 1989 से अब तक यानी 30 साल से इस सीट पर मां बेटे का कब्जा रहा सिर्फ 1991 के चुनाव मेनका गांधी यहां से लोकसभा चुनाव हार गई थी। वरुण गांधी ने अपना राजनीतिक सफर साल 2009 में इसी सीट से किया था। पहले चुनाव में ही उन्होंने 2 लाख 81000 से ज्यादा अंतर से अपने विरोधी को हराया इसके बाद 2014 में भाजपा ने मां बेटे की सीट बदली वरुण को सुल्तानपुर और मेनका को पीलीभीत की सीट दि।

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सुल्तानपुर में भी वरुण ने बड़ी जीत हासिल की 2019 में वरुण को वापस पीलीभीत से टिकट मिला और इस सीट पर उन्होंने जीत हासिल की वरुण गांधी ने पीलीभीत सीट से नामांकन पर्चा खरीदा था लेकिन वह चुनाव नहीं लड़ सके। चर्चा हुई थी कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं हालांकि उन्होंने नामांकन नहीं किया है 27 मार्च को पीलीभीत सीट पर नामांकन की आखिरी डेट थी।

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