बिलकिस बानो मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार का पलटा फैसला !
बिलकिस बानो मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया था |
बड़े बुजुर्गो ने कहा है जो भी किसी के साथ बुरा करोगे उसका भुगतान इसी जनम में करना होगा। अपने बुरे कर्मो की सजा मिलने में वक़्त लग सकता है पर गुनाहो की सजा हर किसी को मिलती ज़रूर है। बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उनकी तीन साल की बेटी दंगों में मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से एक थी। सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा छूट दी गई और 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया। बिलकिस बानो मामले में आज यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार का पलटा फैसला
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए दोषियों की सजा माफी रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों को अब फिर से जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जहां अपराधी के खिलाफ मुकदमा चला और सजा सुनाई गई, वही राज्य दोषियों की सजा माफी का फैसला कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं कर सकती बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी। गौरतलब है कि बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई।
दोषी कर सकते है ‘रीमिशन’ के लिए अप्लाई
सभी दोषियों को अब दो हफ्ते के अंदर जेल में खुद को सरेंडर करना होगा। हालांकि, इस फैसले के बाद भी दोषियों के पास कुछ विकल्प बचे हुए हैं। पहला विकल्प तो यही है कि सभी 11 दोषी सु्प्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं। दूसरा विकल्प यह है कि जेल में कुछ समय गुजारने के बाद दोषी फिर से ‘रीमिशन’ के लिए अप्लाई कर सकते हैं। हालांकि, इस बार ‘रीमिशन’ के लिए उन्हें महाराष्ट्र सरकार से अपील करनी होगी।
किसी भी पुराने फैसले पर पुनर्विचार
भारत के संविधान का अनुच्छेद 137 सुप्रीम कोर्ट यह ताकत देता है कि वो अपने किसी भी पुराने फैसले पर पुनर्विचार कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के नियम कहते हैं कि उसके किसी भी फैसले के खिलाफ पुनिर्विचार याचिका फैसला सुनाए जाने के 30 दिन के अंदर दायर होनी चाहिए और यह पुनर्विचार याचिका उसी बेंच के सामने दायर होनी चाहिए, जिसने फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गई टिप्पणियां
याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की रिहाई के फैसले का बचाव किया था और कहा कि दोषियों ने दुर्लभतम अपराध नहीं किया है और उन्हें सुधार का एक मौका दिया जाना चाहिए। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि रिहाई में छूट का फायदा सिर्फ बिलकिस बानो के दोषियों को क्यों दिया गया? बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं दी गई? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है? इस पर दोषियों के वकील ने माना कि दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार नहीं है। गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों के दौरान उग्र भीड़ ने बिलकिस बानो के घर में घुसकर सात लोगों की हत्या कर दी थी। इस दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया।
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