डिप्टी सीएम की हार से BJP लेगी सीख? सामने आई भाजपा की ये रिपोर्ट …

यूपी में भाजपा ने 250 से ज्यादा सीटें हासिल कि, लेकिन OBC का सबसे बड़ा चेहरा केशव प्रसाद मौर्या अपनी सीट से हार गए।

यूपी में योगी सरकार दुबारा रिपीट हुई हैं। यह संयोग साल 1985 के बाद अब 2022 में बना जब उत्तर प्रदेश में दूसरी कोई एक ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश की कमान संभाली हो। जी हाँ कई मिथकों को साइड करते हुए यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की जनता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदारी सौपी हैं।

विधानसभा चुनाव की बात करे तो भाजपा ने 250 से ज्यादा सीटें हासिल कर बड़े बहुमत के साथ सरकार में कम बैक किया। हैरानी तब हुई जब परिणामों की घोषणा हुई तो डिप्टी सीएम और ओबीसी का सबसे बड़ा चेहरा केशव अपनी सिराधू सीट से हार गए।

भाजपा का वोट प्रतिशत घटा :
जानकारी के मुताबित, उत्तर प्रदेश भाजपा ने 80 पन्नों की एक रिपोर्ट में 2017 के मुकाबले सीटें कम होने की वजह पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार, निषाद पार्टी और अपना दाल से गठबंधन के बाद भी कुर्मी और निषाद बिरादरी का अपेक्षित समर्थन भाजपा के साइड नहीं हो सका, वही इन पार्टी को गठबंधन का लाभ मिला और भाजपा का वोट इन पार्टियों को ट्रांसफर हुआ है। इसका असर यह रहा की इन पार्टियों का वोट प्रतिशत बढ़ा और अच्छी संख्या में सीटें हासिल हुई।

वही अगर सिराथू सीट की बात करे तो वहां 3 लाख 65 हजार से अधिक मतदाता हैं। जिसमे 34 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 33 प्रतिशत दलित वर्ग के मतदाता है,19 प्रतिशत मतदाता सामान्य जाति के और 13 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है।

पिछड़ी जातियों का वोट खिसका:
रिपोर्ट्स के मुताबित, यहा कुशवाहा, कुर्मी, मौर्य, सैनी, निषाद, पाल, शाक्य, राजभर बिरादरी के लोगों ने बड़ी संख्या में भाजपा को वोट नहीं दिया और वोट बैंक सपा गठबंधन की खिसक गया | यही कारण रहा की ऐसी कई पिछड़ी जातियों की ओर से भाजपा को समर्थन नहीं मिला |

 

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