जानियें 2022 में विधान सभा चुनाव के चुनावी खट्टे मीठे रिश्तें
प्रमुख बिंदु
- यादव परिवारः परिवार में ही शह मात के बीच बिछी रिश्तों की बिसात
- पहले नफरत अब मोहब्बतः आपसी रंजिश मिटाकर साथ आए चाचा भतीजे
- जेठ और बहू के बीच सियासत
- पति पत्नी में सियासी घमासानः एक दूसरे के टिकट कटवाने के लिए नहीं छोड़ी कसर
- बाप बेटी आए आमने सामनेः घर में अपने बाहर हुए बेगाने
- जुड़वा भाइयों के बीच विरासती जंग
चुनाव 2022 में खट्टे मीठे होते रिश्तें, कहीं टूटें रिश्तों के धागे तो किसी ने थामी रिश्तों की डोर
चुनाव 2022(up election) में शह मात का खेल चल रहा है। हर तरफ टिकट पाने की होड़ मची है। ऐसे में टिकट पाने के लिए कहीं मंत्रियों ने अपने घरों में ही राजनीतिक जंग छेड़ दी है, तो कहीं दूरियों को कमकर रिश्तों में मिठास भर दी है। तो चालिए आपको रुबरु करातें है ऐसे रिश्तों से जो घर में तो अपने है लेकिन राजनीतिक जंग में एक दूसरे की खिलाफ खड़े है।
यादव परिवारः परिवार में ही शह मात के बीच बिछी रिश्तों की बिसात
यह कहानी अखिलेश के यूपी की कमान सभालने की बाद शुरु होती हुई धीरे धीरे परिवारिक कलह महा युद्ध में बदल गई। सीएम बनने के बाद अखिलेश यादव विरासती चोला उतारकर पिता के विरुद्ध हो गए। उन्होने पिता के उन सहयोगियों को निकाल फेंका जो मुलायम सिंह यादव के बहुत खास थे। इसके जवाब में अमर सिंह ने साधना गुप्ता और प्रतीक के साथ गठबंधन किया और प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव राजनीतिक हवा दी। अमर सिंह की वापसी एक बार फिर सपा में हुई उनके पार्टी में वापसी करते ही यादव परिवार में दरारें पड़ने लगी और पिता पु़त्र की रिश्तों में कड़वाहट की बड़ी वजह बनी।
पहले नफरत अब मोहब्बतः आपसी रंजिश मिटाकर साथ आए चाचा भतीजे
अंसारी पार्टी के विलय ने चाचा भतीजे की नफरत को हवा दी। शिवपाल पार्टी और सरकार के खिलाफ हो गए। उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देने की भी धमकी दी। इसके बाद अखिलेश ने शिवपाल केे करीबी माने जाने वाले मंत्री मुख्य सचिव दीपक सिंघल को बाहर का रास्ता दिखा दिया। बस फिर क्या यह आग ऐसी भड़की, कि सारे मुलायम परिवार को अपनी जद में ले लिया। जिसका खमियाजा सपा को 2017 के विधान सभा चुनाव में हारकर भरना पड़ा। मौजूदा चुनाव में एक फिर चाचा भतीजे की बीच रिश्तों की कड़वाहट को खत्म किया है। दोनों आपसी नफरत को मिटाकर एक साथ खड़े है।
जेठ और बहू के बीच सियासत
मौजूदा चुनाव 2022 ने मुलायम सिंह यादव को दो राहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। उनकी स्थिती को समझाने के लिए सोशल साइट्स पर वायरल हुई दो तस्वीरें ही काफी है। एक तस्वीर में अखिलेश को चुनावी अभियान शुरू करने से पहले मुलायम आशीर्वाद दे रहे हैं। दूसरी तस्वीर में मुलायम ने अपर्णा के सिर पर हाथ रखाए उस तस्वीर के दूसरे दिन ही अपर्णा सपा खिलाफ जाकर पाले के उस तरफ बीजेपी में शामिल हो गई। जीवन के इस पड़ाव पर शायद उनके लिए इससे बुरा कुछ हो।
पति में पत्नी सियासी घमासानः एक दूसरे के टिकट कटवाने के लिए नहीं छोड़ी कसर
समाज में जहां पति पत्नी एक दूसरे के साथ खड़े रहते है और एक दूसरे की खुशी के लिए कुछ भी कर सकते है। वहीं लेकिन राजनीति में उसका बिल्कुल उल्टा हो रहा है। यहां न कोई पति होता है न कोई पत्नी होती है। बस सियासत होती है। यूपी विधान सभा चुनाव 2022 में ऐसा ही कुछ रिश्ता देखने को मिला है बीजेपी मंत्री स्वाति सिंह उनके पति दयाशंकर के साथ। इनकी कहानी काफी दिलचस्प है। जो चुनावी सियासत में एक दूसरे की दुश्मन बन गए।
आपसी कलह में दोनों ने अपना अपना टिकट कटवा दिया। हालांकि कुछ बड़े नेता दयाशंकर की पैरवी कर रहे थे। जिससे परेशान स्वाति भी उनके पीछे पीछे दिल्ली पहुंच गई। दोनों ने दोनों ने एक.दूसरे की हकीकत पार्टी आलाकमान तक पहुंचा दी। पति ने पत्नी दोनों ने दूसरे की बुराई की जिसका फायदा राजराजेश्वर सिंह को मिला। और वह बाजी मार ले गए।
बाप बेटी आए आमने सामनेः घर में अपने बाहर हुए बेगाने
जहां एक तरफ यूपी चुनाव 2022 में सपा और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर होने वाली तो वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य के बीच भी सियासी टकराव होने वाला है। बाप बेटी दोनों एक दूसरे के आमने सामने खड़े है।
योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य हाल ही में सपा में शामिल हो गए है लेकिन उनकी बेटी उनसे कांटे की टक्कर देने के लिए अब भी भाजप में बनी हुई है। हालाकि संघमित्रा मौर्य का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ राजनीतिक है इसका निजी जीवन से कोई मेल नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी भी उनके पिता की तरह हैंए उन्होंने कहा श्मैं बीजेपी के साथ हूं और रहूंगी। पारिवारिक जीवन और राजनीतिक जीवन बिल्कुल अलग.अलग हैं। मैं पूरे प्रदेश में बीजेपी का प्रचार करूंगी। पर पिता के ख़िलाफ़ प्रचार नहीं । मुझे बीजेपी को वफ़ादारी का सर्टिफिकेट देने की ज़रूरत नहीं है।
जुड़वा भाइयों के बीच विरासती जंग
एक साथ मां की कोख में रहे एक ही घर में रहें परिवार भी एक घर और आंगन भी एक, लेकिन सियासत का पहिया ऐसा चला की 2022 के चुनाव में एक दूसरे के आमने सामने खड़े हो गए है। इमरान और नोमान दोनों जुड़वां भाई हैं। समय के साथ दोनों की राजनीतिक रास्तें अलग.अलग हो गए है। जहां इमरान सपा से चुनाव लड़ेगे तो वहीं नोमान बसपा से चुनावी कमान संभाले हैं।