# कंजूस निजाम की कहानी : 230 बिलियन डॉलर के राजा लेकिन पहनते थे टूटी चप्पल, गंदे कपड़े !

निज़ाम के पास जैकब डायमंड था, जो उस समय दुनिया के सात सबसे महंगे हीरे में से एक था जिसे निजाम ने पेपरवेट के रूप में इस्तेमाल करते थे

सन 1947 में जब देश आजाद हुआ तो उस समय निजाम ओसमान अली खान को दुनिया का सबसे अमीर आदमी माना जाता था। उस समय उसके पास इतना धन था। जितना इस धरती के किसी अन्य शासक के पास नहीं था।

पैसा बचाने के लिए नए-नए हथकंडे

लेकिन आप उनके कंजूसी भरे जीवन को जानकर हैरान रह जाएंगे। आज भी निजाम परिवार के करोड़ों रुपये विदेशी बैंकों में जमा हैं, जिसके लिए उनके वंशज अदालत में लड़ रहे हैं। लेकिन कंजूसी में नंबर वन यह शासक एक-एक पैसा बचाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाते थे।

50 मिलियन पाउंड का पेपरवेट 

वर्ष 1911 में उस्मान अली खान हैदराबाद के निजाम बने। जब देश स्वतंत्र हुआ और हैदराबाद को भारत में मिला लिया गया, उस वक्त उस्मान अली खान का शासन था। निजाम की कुल संपत्ति 17.47 लाख करोड़ यानि 230 अरब डॉलर थी। उस समय निज़ाम की कुल संपत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका की कुल जीडीपी का 2 प्रतिशत थी। निज़ाम की अपनी मुद्रा व अपना टकसाल व सिक्के थे। 10 करोड़ पौंड का सोना, 40 करोड़ पौंड के रत्न थे। निज़ाम की आय का सबसे बड़ा स्रोत गोलकुंडा खदानें थीं, जो उस समय दुनिया में हीरे की आपूर्ति का एकमात्र स्रोत थीं। निज़ाम के पास जैकब डायमंड था, जो उस समय दुनिया के सात सबसे महंगे हीरे में से एक था। जिसे निजाम ने पेपरवेट के रूप में इस्तेमाल किया था। इसकी कीमत 50 मिलियन पाउंड थी।

35 सालों से सिर पर एक ही फैज पहने रखा

प्रसिद्ध लेखक डोमिनिक लैपिएरे और लैरी कॉलिन्स ने अपनी पुस्तक ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लिखा है, ‘निजाम के पास लगभग सौ प्रतिष्ठान थे जहां सोने के कटोरे में भोजन परोसा जाता था। लेकिन वह खुद मामूली टिन-प्लेटों से खाते था। अपने शयनकक्ष में कालीन पर बैठते । वह इतना गरीब दिल के आदमी थे कि अगर कोई मेहमान उसके पीछे सिगरेट पीकर छोड़ जाता तो वह उसे उठाकर पी लेते। वह बिना इस्त्री के सूती पजामा पहनता था। स्थानीय बाजार से सस्ते दाम पर खरीदे गए घटिया किस्म के जूते पैरों पर पहन लेते। वही मैली कुचैली फैज पिछले 35 सालों से सिर पर पहना हुआ था।

भारत में मिलने से इनकार कर दिया

1947 में देश की आजादी के बाद निजाम ने भारत में मिलने से इनकार कर दिया। सितंबर 1948 में भारतीय सैनिकों ने हैदराबाद में प्रवेश किया क्योंकि निज़ाम का पाकिस्तान के साथ संबंध बढ़ गया था। 13 से 18 सितंबर 1948 तक चले ऑपरेशन पोलो के तहत निजाम के हैदराबाद राज्य को भारत में मिला लिया गया था। और इस तरह दुनिया के सबसे अमीर शासक का शासन समाप्त हो गया।

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