बड़ी कठिन है डगर रामपुर की, सपा के लिए चुनौती बना आजम खान का गढ़ !
अखिलेश यादव लगातार दबाव झेल रहे हैं कहीं पारिवारिक तो कहीं सीनियर नेताओं का जिसका परिणाम सामने आया की बार-बार लोकसभा सीट पर कैंडिडेट बदले गए।
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव प्रचार अभियान अपने चरम पर है। भारतीय जनता पार्टी चुनाव प्रचार में बहुत पहले से ही जुटी हुई है वही अखिलेश यादव ने प्रचार प्रसार देर से शुरू किया ,कहीं ना कहीं उन्हें गिरने वाले विपक्षी नहीं बल्कि अपने ही पक्ष के लोग हरा रहे है। अखिलेश यादव लगातार दबाव झेल रहे हैं कहीं पारिवारिक तो कहीं सीनियर नेताओं का जिसका परिणाम सामने आया की बार-बार लोकसभा सीट पर कैंडिडेट बदले गए।
रामपुर की सियासत आजम खान के इर्द-गिर्द
लोकसभा में एसटी हसन नाराज हो गए उन्हें मनाने के लिए काफी पापड़ समाजवादी पार्टी के सुप्रीम अखिलेश यादव को बेलने पड़े आजम खान की बात मानना भी जरूरी था ,अब बात आती है रामपुर सीट की आजम खान अखिलेश से रामपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा लेकिन अखिलेश नहीं माने और राजनीतिक गलीयारों में चर्चाएं तेज हो गई। ऐसे में रामपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां सब कुछ अब पहले जैसा नहीं रहा है। एक वक्त ऐसा भी था, जब रामपुर की सियासत सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के इर्द-गिर्द घूमती थी, लेकिन बदले वक्त के साथ यहां बहुत कुछ बदल चुका है।
लोकसभा चुनाव को लेकर यहां उल्टी गिनती शुरू
ईद के चलते रामपुर में रौनक है, वहीं 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर यहां उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। लेकिन, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व लोकसभा सांसद आजम खान के जेल रोड स्थित आलीशान आवास के बाहर सन्नाटा पसरा हुआ है। घर के दरवाजे बंद हैं और बाहर की गली खाली है। पड़ोसियों का कहना है कि कभी उत्तर प्रदेश के सबसे शक्तिशाली राजनेताओं में से एक रहे खान और उनकी पत्नी और बेटे की गिरफ्तारी के बाद से उनके घर आने-जाने वाले भी अब नहीं आते हैं।
रामपुर से दिल्ली के एक मौलवी मोहिबुल्लाह को टिकट
पिछले दिनों चुनावी मौसम में सपा नेताओं को जेल रोड संबोधन के लिए कतार में खड़े होते देखा होगा। रामपुर को याद नहीं आ रहा कि पिछली बार कब खान परिवार का कोई सदस्य या उनकी मार्फत का नेता सपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ रहा था। इस बार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, जिनका खान के साथ काफी तल्खी भरा रिश्ता रहा है। अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के समय के अन्य नेताओं की तरह रामपुर से दिल्ली के एक मौलवी मोहिबुल्लाह को टिकट दिया है।
पुराने सहयोगी असीम राजा की सिफारिश
आजम खान जाहिर तौर पर चाहते थे कि अखिलेश चुनाव लड़ें और उनके इनकार करने के बाद उन्होंने अपने पुराने सहयोगी असीम राजा की सिफारिश की। जबकि राजा ने “सपा उम्मीदवार” के रूप में अपना नामांकन पत्र भी दाखिल किया था, जांच के दौरान कागजात खारिज कर दिए गए थे।अब समाजवादी पार्टी जिला संगठन, जिसके नेता खान के प्रति अपनी वफादारी रखते हैं। वो विद्रोह में है, और मोहिबुल्लाह की पसंद पर सवाल उठा रहे हैं, जो पिछले 20 वर्षों से नई दिल्ली में संसद मार्ग पर एक मस्जिद के इमाम हैं।
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