यात्रीगण कृपया ध्यान दें, छुकछुक ट्रेन आने वाली है !
फिल्मो व टीवी मे छुकछुक ट्रेन से रोमांचित होने वाले अब वास्तविक रुप मे ट्राम वे रेल का मजा ले सकेगे, इसके लिए डीपीआर बनाई जा रही
उत्तर प्रदेश का जिला महराजगंज फिर से अपनी पुरानी पहचान ( identify ) के लिए ( ट्राम-वे रेल ) पहचाना जाएगा।
सैर सपाटा का भी मौका मिलेगा
प्रदेश के टूरिस्म को बढ़ावा देने के लिए व पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए एक बार फिर से जनपद के प्राकृतिक विरासत सोहगीबरवा वन्यक्षेत्र को पर्यटन के रुप मे विकसित किया जा रहा है। आपको बता दे कि सैलानियों को देश की पहली ट्राम-वे रेल से वन क्षेत्र में सैर सपाटा का भी मौका मिलेगा।
स्वीकृति मिलने के पूरे आसार
इस पूरी योजना को दोबारा शुरू करने के लिए डीपीआर बनाई जा रही है। तो वही कहा जा रहा है कि माह के अंत तक डीपीआर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के माध्यम से शासन को भेज दिया जाएगा। जिसकी स्वीकृति मिलने के पूरे आसार है। अभी तक केवल फिल्मों व टीवी में ही इस छुकछुक ट्रेन का मजा लोग खुद उठा सकेंगे।
दुर्गम वन क्षेत्र से मुख्य रेल लाइन तक
आपको बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत ने जंगल की संपदा को दुर्गम वन क्षेत्र से मुख्य रेल लाइन तक लाने का काम किया था। वर्ष 1924 में भारत की पहली ट्राम-वे रेल परियोजना लक्ष्मीपुर रेंज और उत्तरी चौक रेंज के जंगल में चौराहा तक 22.4 किमी दूरी तक स्थापित किया था। 58 वर्ष की सेवा के बाद 1982 में करीब 8 लाख घाटे के चलते देश की पहली ट्राम-वे रेल को बंद कर दिया गया था।