कोटा में चलाई जाएगी मासूम जिंदगियों को बचाने की मुहीम !
राजस्थान के कोटा शहर की पुलिस ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नयी पहल की है और छात्रों में अवसाद का पता लगाने के लिए छात्रावास के वार्डन, मेस में काम करने वाले कर्मियों और टिफिन सेवा देने वालों की सहायता ली जा रही है।

राजस्थान के कोटा में आये दिन बच्चो के आत्म हत्या की खबरे सामने आती रहती है और इसी कारण ज्यादा तर पेरेंट्स अपने बच्चो को कोटा भेजने से डरते है। क्योकि पड़ने से भी ज्यादा व्यक्ति की जान जरूरी है कोटा में जाके बच्चा अपने भविष्य को सुधारता है। लेकिन कुछ बच्चे जो सफल नहीं हो पाते वो अपनी जिंदगी को दाओ पर लगा देते है और आत्म हत्या कर लेते है राजस्थान के कोटा शहर की पुलिस ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नयी पहल की है और छात्रों में अवसाद का पता लगाने के लिए छात्रावास के वार्डन, मेस में काम करने वाले कर्मियों और टिफिन सेवा देने वालों की सहायता ली जा रही है।
पुलिस ने घटनाओं को रोकने के लिए की नई पहल
पुलिस छात्रावासों और पीजी (पेइंग गेस्ट) के वार्डन को ‘दरवाजे पे दस्तक’ अभियान में सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। उसने मेस कर्मियों और टिफिन सेवा प्रदाताओं से अनुरोध किया है कि अगर कोई छात्र मेस से बार-बार अनुपस्थित रहता है या खाना नहीं खाता या कोई टिफिन मंगाने के बावजूद खाना नहीं खा रहा है तो इसकी जानकारी उसे दें इस साल अबतक सर्वाधिक संख्या में 22 छात्रों ने यहां आत्महत्या की है, जिनमें से दो ने 27 अगस्त को महज कुछ घंटों के अंतराल में आत्महत्या की।
बच्चो की दिक्कतों को सुना जयेगा
पिछले साल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी। व्यस्त दिनचर्या, कठिन प्रतिस्पर्धा, बेहतर करने का नियमित दबाव, माता-पिता की उम्मीदों का बोझ और घर से दूरी ऐसी समस्याए हैं, जिनका सामना यहां दूसरे शहरों और देश के अन्य हिस्सों से आकर पढ़ाई करने वाले ज्यादातर छात्र महसूस करते हैं।
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