एमपी में मुस्लिम परिवारों ने अपनाया सनातन धर्म !
चार पीढ़ी पहले इन लोगों के पूर्वज मतांतरित होकर मुस्लिम हो गए थे। इसके बावजूद ये लोग कुलदेवी चामुंडा मां को ही मानते थे।
अपने धर्म से सबको प्यार होता है अपने धर्म को लोग जहा सर्वोपरि मानते है तो वही कुछ लोग होने धर्म को बदल देते है कोई हिन्दू से मुस्लिम धर्म अपना लेता है तो कोई मुस्लिम से हिंदी बन जाता है। ऐसा ही एक जीता जागता उदाहरण सामने आया मध्य प्रदेश में देवास जिले से। जहा धर्मांतरण का रूप देखने को मिला मध्य प्रदेश में देवास जिले के अंतिम छोर पर स्थित नर्मदा नदी के तट पर सिद्धक्षेत्र नेमावर में 35 मुस्लिम परिवारों के 190 लोगों ने संत समाज की उपस्थिति में सनातन धर्म में वापसी की। इन लोगों ने नर्मदा स्नान, मुंडन, हवन कर यज्ञोपवीत धारण किया। चार पीढ़ी पहले इन लोगों के पूर्वज मतांतरित होकर मुस्लिम हो गए थे। इसके बावजूद ये लोग कुलदेवी चामुंडा मां को ही मानते थे।
मुस्लिम परिवारों ने सनातन धर्म में की वापसी
परिवारों की नई पीढ़ी ने पूजा-अर्चना की परंपरा देख संत समाज से घर वापसी के लिए सहयोग मांगा था। घर वापसी पर मोहम्मद शाह (अब परिवर्तित नाम राम सिंह) ने कहा कि उनके पूर्वज भले ही परिस्थितिवश मुस्लिम हो गए थे, पर हमारे रक्त में सनातनी संस्कार ही प्रवाहित हो रहे हैं। संत आनंदगिरि महाराज ने बताया कि ये लोग मूलरूप से रतलाम जिले के आंबा गांव के निवासी हैं।
क्षेत्र में मुस्लिम जमींदारों का वर्चस्व था
घर वापसी करने वाले लोगों ने कहा कि मतांतरण के बावजूद परिवार ने सनातनी संस्कृति अपनाए रखी। कुलदेवी की पूजा करते रहे। शादी समारोह आदि भी सनातन संस्कार के अनुरूप होते रहे। इससे मुस्लिम समाज हम लोगों को उपेक्षित भी करता था। ऐसे में वहां बहुत घुटन महसूस होती थी इतिहासकार दिलीप सिंह जाधव कहते हैं कि करीब दो सौ साल पहले भी इस क्षेत्र में मुस्लिम जमींदारों का वर्चस्व था। उस समय धुमंतू जातियों के तमाम लोगों को जबरिया मतांतरित कराया गया था। फिर भी मतांतरित लोग अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते रहे हैं।
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