Mulayam Shivpal Relation: मुलायम की ढाल भाई शिवपाल

Mulayam Shivpal Relation: बेटे से ज्यादा शिवपाल को तवज्जो देते हैं मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक जीवन बेहद कठिनाइयों से गुजरा है। मुलायम सिंह यादव को आपातकाल के दौरान जेल में भी रहना पड़ा लगभग 19 महीने मुलायम सिंह यादव ने जेल में बिताए। राष्ट्रीय लोक दल व छोटी-छोटी पार्टियों से राजनीति की शुरुआत करने वाले नेता मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक संघर्ष का अगर कोई पहला साथी रहा है, तो वह शिवपाल यादव है ।

शिवपाल यादव वह शख्स है जब विपक्ष में रहते हुए मुलायम सिंह यादव धरना प्रदर्शन करते थे तो उनके ऊपर लाठियां भी बरसाई जाती थी कांग्रेस और बसपा सरकार में कई बार मुलायम सिंह यादव के ऊपर लाठी चार्ज भी हो चुका है। लेकिन हर बार शिवपाल सिंह यादव उनके साथ ढाल बनकर खड़े रहते थे।

नेताजी की तरफ बढ़ने वाली हर एक लाठियों को शिवपाल अपनी चौड़ी छाती पर रोक लेते थे । किसी की मजाल नहीं थी जो शिवपाल सिंह यादव के सामने मुलायम सिंह यादव को आंख दिखा दे। शिवपाल यादव अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को भगवान की तरह मानते हैं आज भले ही राजनीतिक मतभेद हो परिवार में लेकिन अपने बेटे से ज्यादा मुलायम सिंह यादव शिवपाल यादव को तवज्जो देते हैं ।

शिवपाल यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं और मुलायम सिंह यादव के चहेते भी हैं । जितनी बार मुलायम सिंह यादव ने सरकार बनाई उतनी बार शिवपाल सिंह यादव कैबिनेट मंत्री बने और सरकार में दूसरे दर्जे की कुर्सी की हैसियत रखने वाले नेता भी बने। 2012 में आई अखिलेश यादव सरकार में उन्हें पीडब्ल्यूडी विभाग सौंपा गया.

रामगोपाल यादव की एंट्री-

लेकिन इसी बीच राजनैतिक विभीषण का आगमन समाजवादी पार्टी में बड़े स्तर पर होता है और अखिलेश यादव धीरे-धीरे परिवारिक कलह के कारण दूसरे चाचा रामगोपाल यादव के करीब जाने लगते हैं रामगोपाल यादव ने अखिलेश यादव को ऐसी घुट्टी पिलाई की अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को मंत्री पद से हटाकर प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।

बवाल जब बहुत बड़ा तो पार्टी में टूट की नौबत आ गई, लेकिन उसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने खुद ही समाजवादी पार्टी से दूरी बनाकर खुद का एक राजनीतिक दल बनाया। उन्होंने 2019 में फिरोजाबाद से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा चुनाव में उन्हें लगभग 200000 वोट मिले और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की हार का कारण भी शिवपाल यादव रहे।

अभी भी अखिलेश यादव को समझ में नहीं आया कि चाचा शिवपाल समाजवादी पार्टी के लिए कितने जरूरी है कितने महत्वपूर्ण है उसके बाद 2022 का विधानसभा चुनाव आता है उत्तर प्रदेश में महंगाई बेरोजगारी के मुद्दे पर त्राहिमाम कर रही जनता को उम्मीद थी कि अखिलेश यादव की सरकार बनेगी और राहत मिलेगी।

चाचा शिवपाल यादव को भूले –

अखिलेश यादव भी अपनी रैलियों में हुजूम देखकर अपने चाचा शिवपाल यादव को फिर भूल गए अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी से गठबंधन किया और उन्हें एक सीट दी ओमप्रकाश राजभर जैसे दल बदलू नेताओं को उन्होंने 18 सीट दे दी कभी जीवन में कोई चुनाव में जीतने वाली पल्लवी पटेल और कृष्णा पटेल की पार्टी को भी उन्होंने लगभग 6 सीटें लेकिन चाचा शिवपाल के 10 समर्थकों को टिकट देने योग्य नहीं समझे ।

लगातार हो रहे राजनैतिक अपमान के बाद शिवपाल सिंह यादव पूरी तरीके से समाजवादी पार्टी के विरोध में उतर आए उन्होंने हाल में भाजपा की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का समर्थन किया तो लोगों ने शिवपाल सिंह यादव पर बहुत टिप्पणी की मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद भी बहुत टिप्पणियां की गई लेकिन कल जब रामगोपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की तो सब के मुंह में दही जम गया सवाल सबसे महत्वपूर्ण या है कि आखिर रामगोपाल यादव का समाजवादी पार्टी में क्या योगदान है ।

रामगोपाल यादव ज्यादातर दिल्ली में ही रहते हैं हमने सुना है कि उन्हें धूल से भी एलर्जी है दरसल चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुआ व्यक्ति कभी धरातल पर चल ही नहीं सकता शिवपाल यादव तो गांव की धूल फांक कर बाजरे की रोटी तक खाने वाले व्यक्ति हैं और मुलायम सिंह यादव के साथ जिसने भी राजनीति की है उसको पता है कि लोहिया का आंदोलन कैसा था

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