रमज़ान में ज़कात और फितरे को लेकर मुफ़्ती इरफाम मिया ने दी ये जानकारी …

क़ाज़ी ए शहर ने बताया कि, इस महीने बंदा इबादत के ज़रिए अल्लाह से सबसे ज़्यादा करीब हो जाता है साथ ही उन्होंने कई और बातें बताई ...

इदारा ए शरइया फिरंगीमहल के अध्यक्ष व काज़ी ए शहर मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली ने रमज़ान के पाक महीने में बारे में बयान देते हुए कहा कि, रमजा़न के महीने में अल्लाह अपना दरबार अपने बंदो के लिए आम कर देता है। ख़ज़ाने खोल दिए जाते हैं ,जन्नत सजाई जाती है ,दोज़ख का मुंह बंद कर दिया जाता है ,शैतानों को क़ैद कर दिया जाता है। इस महीने बंदा इबादत के ज़रिए अल्लाह से ज़्यादा करीब हो जाता है।

क़ाज़ी ए शहर ने बताया:
क़ाज़ी ए शहर ने बताया कि, आज 20 रमज़ान को दूसरा अशरा मगफिरत खत्म हुआ जिसमें अल्लाह ने अपने बंदों की इबादत व मोहब्बत और इखलास को देखकर उनके गुनाहों को माफ कर देता है । इरफान मियां ने बताया कि हम को ज़्यादा से ज़्यादा होशियार रहकर अधिकतर वक़्त इबादतओं में लगाना चाहिए। गुनाहों और बुरे कामों से दूरी बनानी चाहिए।

आगे उन्होंने कहा कि, आज से तीसरा अशरा शूरु हुआ है जो जहन्नुम से निजात दिलाता है। इस अशरे में खुदा की इबादत करने वालों को जहन्नुम की आग से मुक्ति मिलती है । काज़ी ए शहर ने कहा की तीसरे और आखिरी अशरे में हम फितरा और ज़कात भी निकालते हैं, जिससे ईद वो लोग भी खुशी खुशी मना सकें । इरफान मियां ने कहा कि ईद के बाद भी फितरा और ज़कात निकाला जा सकता है, लेकिन रमज़ान में ही यह निकालना बेहतर होता है क्योंकि रमजा़न में हर नेकी का सवाब सत्तर गुना बढ़कर मिलता है। रमजा़न का महीना हमे भाई चारा और बुराइयों से बचने का संदेश देता है ।

इरफान मैंने कहा कि सिर्फ भूखे रहने का नाम रोजा नहीं है बल्कि जरूरतमंदों की सहायता करना और गलत कामों से खुद को रोकना रोजेदार के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है।

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