# मनीष सिसोदिया : इससे पहले भी सीबीआई के फंदे से फंसकर निकल चुके है डिप्टी सीएम !
दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित उल्लंघनों और प्रक्रियात्मक त्रुटियों के पाए जाने के बाद संशोधित आबकारी नीति को सीबीआई जांच ने सिफारिश की
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर आज सीबीआई की रेट जारी है। तेज़ तर्रार पत्रकार से पॉलिटिशियन बने सिसोदिया के घर और परिसर में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने राज्य सरकार के पहले की आबकारी नीति के संबंध में छापा मारा था।
सरकारी खजाने को 150 करोड़ रुपये का नुकसान
उनपर जुलाई 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित उल्लंघनों और प्रक्रियात्मक त्रुटियों के पाए जाने के बाद संशोधित आबकारी नीति को सीबीआई जांच ने सिफारिश की है। जिससे सरकारी खजाने को 150 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
तीन बार विवादों के घेरे में फंस चुके हैं
आप हम आपको उन जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल मनीष सिसोदिया इससे पहले भी करीब तीन बार विवादों के घेरे में फंस चुके हैं। जब आज से करीब 7 साल पहले उनपर उनकी डिग्री को लेकर सवाल उठाए गए। फिर करीब 6 साल बाद सब्जी विक्रेताओं को धमकी मामला भी सामने आया था। उसके बाद उनपर एक मीडिया कम्पैन को लेकर भी मामला दर्ज किया गया था। इन तीनों मामलों के विस्तार से समझिए :
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परास्नातक की डिग्री पर सवाल
वर्ष 2015 की बात हैं। जब हिंदुस्तान टाइम्स के पूर्व संपादक ए. जे. फिलिप ने सिसोदिया की परास्नातक की डिग्री पर सवाल उठाए थे। जिसमें उन्होंने कहा कि “जिस समय मनीष भारतीय विद्या भवन में पढ़ाते थे, उस समय के उनके कॉलेज में छात्र होने के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं मिलते है।
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सब्जी विक्रेताओं को लेकर विवाद
इसके अगले साल वर्ष 2016 की बात सामने आती है। इस विवाद को लेकर जानकारी के अनुसार ” गाजीपुर वेजिटेबल एसोसिएशन ” के अध्यक्ष सुरेंद्र गोस्वामी ने दिल्ली में कुछ सब्जी विक्रेताओं को धमकी देने के लिए मनीष के खिलाफ एक लिखित शिकायत दर्ज करवाई थी।
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मीडिया कैंपेन ‘टॉक टू एके’ का विवाद
इसी वर्ष 2016 में उनपर सीबीआई ने उनके खिलाफ प्राथमिक जांच (पीई) दर्ज की थी। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने एक मीडिया कैंपेन ‘टॉक टू एके’ के दौरान नियमों और विनियमन का उल्लंघन किया था। जोकि पीएम मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम जैसा एक टॉक शो था।