Jharkhand Political Crisis: दिल्ली रवाना हुए राज्यपाल रमेश बैस, केंद्र को सौंप सकते हैं रिपोर्ट !
झारखंड में राजनीतिन हलचल के बीच एक नई खबर सामने निकल कर आ रही है। खबर यह है कि झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस आज केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं।
झारखंड में राजनीतिन हलचल के बीच एक नई खबर सामने निकल कर आ रही है। खबर यह है कि झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस आज केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं। वह दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर झारखंड राज्यपाल का यह दिल्ली दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल ने की राज्यपाल मुलाकात !
आपको बता दें कि इससे पहले बीती शाम कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के मुताबिक, राज्यपाल ने उनसे कहा है कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता के मसले पर निर्वाचन आयोग का पत्र राजभवन को मिला है। इस पत्र के कंटेंट पर वो विधि विशेषज्ञों से परामर्श ले रहे हैं और जल्द ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।
राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन !
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस को एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें यह कहा गया है कि मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-A के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। ऐसी खबरें राजभवन के सूत्रों के हवाले से चल रही हैं। जिससे पूरे राज्य में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गयी है। लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को बढ़ावा दिया जा रहा है।
यह था पूरा मामला !
बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीएम रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम पर पत्थर खदान लीज पर ली थी। भाजपा ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (Office Of Profit) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी। राज्यपाल ने इसपर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था। जिस पर आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग ने बीते गुरुवार को राजभवन को मंतव्य भेजकर उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की अपील की थी। चुनाव आयोग का ये मंतव्य राजभवन के पास है और आधिकारिक तौर पर इस बारे में राजभवन ने 7 दिनों के बाद भी कुछ नहीं कहा है।
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