IMF ने GDP पर कसते कर्ज के शिकंजे की तरफ किया इशारा !

IMF ने एक खतरनाक ट्रेंड की तरफ इशारा किया है और भारत को सचेत किया है, IMF का यह इशारा है जीडीपी पर कसते कर्ज के शिकंजे की तरफ

भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़िया प्रदर्शन कर रही है। अभी जब दुनिया भर में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुस्त है, भारत तेज गति से तरक्की कर रहा है। IMF समेत कई एजेंसियों ने भारत को ग्लोबल ग्रोथ का इंजन बताया है। हालांकि इन सब अच्छी खबरों के बीच IMF ने एक खतरनाक ट्रेंड की तरफ इशारा किया है और भारत को सचेत किया है, IMF का यह इशारा है जीडीपी पर कसते कर्ज के शिकंजे की तरफ।

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2028 तक देश पर GDP का 100% कर्ज

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने शुक्रवार को भारत की आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए एक रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक, भारत पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया, सरकार इसी रफ्तार से उधार लेती रही तो 2028 तक देश पर GDP का 100% कर्ज हो सकता है। ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा।

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9 साल में भारत सरकार पर 192% कर्ज बढ़ा

बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसमें से भारत सरकार पर 160 लाख करोड़ रुपए, जबकि राज्य सरकारों पर 44 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है। 2014 में केंद्र सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था, जो सितंबर 2023 तक बढ़कर 160 लाख करोड़ हो गया है। इस हिसाब से देखें तो पिछले 9 साल में भारत सरकार पर 192% कर्ज बढ़ा है। इसमें देश और विदेश दोनों तरह के कर्ज शामिल हैं।इसी तरह अब अगर विदेशी कर्ज की बात करें तो 2014-15 में भारत पर विदेशी कर्ज 31 इकत्तीस लाख करोड़ रुपए था। 2023 में भारत पर विदेशी कर्ज बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है।

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भारत में हर आदमी पर 9 साल में कितना रुपए कर्ज बढ़ा है?

सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इनमें केंद्र और राज्य सरकारों के कर्ज शामिल हैं। भारत की कुल आबादी 142 एक सौ बयालीस करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय पर 1.40 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज है। 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो भारत सरकार पर कुल कर्ज 17 लाख करोड़ रुपए था। 2014 तक तीन गुना से ज्यादा बढ़कर ये 55 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस समय भारत सरकार पर कुल कर्ज 160 लाख करोड़ रुपए है।
आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर IMF का कहना है कि भारत के लिए जोखिम बैलेंस्ड हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इसके साथ ही मध्यम अवधि में भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया. इसके लिए एजेंसी ने उम्मीद से ज्यादा पूंजीगत खर्च और रोजगार के मामले में बेहतर स्थिति को कारण बताया है |

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भारतीय अर्थव्यवस्था की आने वाली चुनौतियां

बाहरी मोर्चे पर भारत को ग्लोबल स्लोडाउन से निकट भविष्य में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है वही घरेलू मोर्चे पर मौसमी कारणों से महंगाई फिर से सिर उठा सकती है। इसके चलते देश को फूड एक्सपोर्ट पर पाबंदियों का सहारा लेना पड़ सकता है, दूसरी ओर उम्मीद से बेहतर उपभोक्ता मांग और निजी निवेश से आर्थिक वृद्धि दर को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

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