कहीं ‘रबर स्टैम्प नेता’ की छवि से तो नहीं हुआ ‘बिहार में बदलाव ‘ !

ऐसे में अगर बिहार में बदलाव का कारण रबर स्टैम्प वाले नेता की छवि से नीतीश कुमार का ऊबना भी हो सकता है

 

बिहार की राजनीती में जिस तरह से उथल पुथल मची हुई है। उसे देखकर देखकर यह कहना कतई गलत न होगा कि जिस तरह से बीते महीनों में एनडीए गठबंधन की गांठ खुलती नज़र आ रही है।

न ही उनको कोई सम्मान देती है

फिर अगर हल फ़िलहाल पर नज़र डालें तो महाराष्ट्र की शिवसेना, पंजाब का अकाली दल, यूपी का सुभासपा व बिहार की नितीश सरकार की पार्टी जदयू हो। ऐसे में अगर बिहार में बदलाव का कारण रबर स्टैम्प वाले नेता की छवि से नीतीश कुमार का ऊबना भी हो सकता है। ये सभी पार्टियां यह कहकर एनडीए से अलग हुई की बीजेपी उन्हें अपमानित कर रही है। वो छोटे दलों के नेता की तो न बात सुनती है और न ही उनको कोई सम्मान देती है। अब अगर हाल ही का उदाहरण देखें तो सीएम नीतीश कुमार भी लगभग यही आरोप लगाते हुए अलग हुए है।

नीतीश की रणनीति मुहर्रम के दिन खत्म हुई

अब बिहार के सीएम नितीश कुमार के अगर सियासी सफर की बात करें तो अपने 22 साल के करियर में वे 8 वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे। वैसे आपको बता दें नीतीश कुमार एक कुशल राजनेता हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि आखिरी समय में कैसे चुप रहना है। यह एक ऐसा निर्णय लेना है जिसके बारे में राजनीति के बड़े पंडितों को भी पता नहीं है। खतरनाक स्विंग की तरह अनुभवी बल्लेबाज भी इसे नहीं समझ सकते। ईद के मौके पर इफ्तार पार्टी से शुरू हुई नीतीश की रणनीति मुहर्रम के दिन खत्म हुई है।

मंत्री शाहनवाज हुसैन अपनी सफलता गिन रहे

वैसे अगर बिहार में हालिया दौर की बात करें तो जहां बीजेपी खुद को बिहार में बड़े भाई के रूप में देखती है। वहीं नीतीश कुमार के एक फैसले ने पूरी पार्टी को फायदे और नुकसान का आकलन करने के लिए मजबूर कर दिया है। पटना में जदयू विधायक दल की बैठक जहां बीजेपी से तलाक लेने का फैसला ले रही थी। वहीं दिल्ली में बिहार सरकार के मंत्री शाहनवाज हुसैन अपनी सफलता गिन रहे थे।

दूसरे को कुछ भी समझने पर मजबूर कर देते हैं

अब 2022 में यानी 9 अगस्त मंगलवार को उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ काम करना मुश्किल होगा। यह कहने से पहले उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने यह भी कहा कि बाकी पार्टी बताएगी। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि जदयू के जहाज में तोड़फोड़ की कोशिश की जा रही थी। कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे आरसीपी सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया है। मंगलवार की शाम नीतीश कुमार ने राबड़ी देवी से कहा कि साल 2017 को भूलकर एक नया अध्याय शुरू करें। राजनीति की फिसलन भरी ढलानों पर नीतीश कितनी आसानी से खुद को संभाल लेते हैं और दूसरे को कुछ भी समझने पर मजबूर कर देते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button