#Happy Birthday Gehlot Ji: जब दलितों के हक के लिए लड़े अपनी ही पार्टी से !

माना जाता हैं की जब राष्ट्रपति के नाम की चर्चा हो रही थी तभी डॉ थावर के नाम भी खूब चर्चा में था। लेकिन मुहर रामनाथ कोविंद के नाम की लगी।

बीजेपी के कद्दावर दलित चेहरा डॉ थावर चंद गहलोत का आज 74वां जन्मदिन हैं। बीजेपी के कद्दावर दलित चेहरा व पूर्व केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत कर्नाटक के राज्यपाल के पद पर आसीन हैं।  हम आपको बताएँगे उनसे जुड़ी खास बातें,

 गहलोत ने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, मध्यप्रदेश से बीए की पढ़ाई की है। उसके बाद कॉलेज के दिनों से ही उन्होंने अपने राजनीती की शुरुआत की। आज सफल राजनेता भी हैं।

– दलितों की उत्थान की बात करने वाले कैबिनेट मंत्री का पदभार संभालने के बाद, सबसे पहले मंत्रालय की पहली प्राथमिकता दलितों और गरीबों के उत्थान के लिए रखी।

– पार्टी के वफादार डॉ थावर ने पार्टी में कई पदों पर काम किया। छात्र नेता होने से सफलता की सीढ़ी में एक कदम और आगे बढ़ते हुए, वे तीन बार मध्य प्रदेश की विधान सभा के लिए चुने गए।

– डॉ थावर का कद पार्टी में बड़ा हैं, इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता हैं की जब राष्ट्रपति पद के लिए किसी दलित चेहरे की तलाश हो रही थी तब थावर चंद गहलोत के नाम की भी चर्चा चली थी, हालांकि, अंतिम रूप से मुहर रामनाथ कोविंद के नाम लगी।

– डॉ थावर साफ सुथरी बातें करने में भरोसा रखते हैं, इसका सीधा उदाहरण यह था की यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अनुसूचित जातियों की लिस्ट में 17 अन्य जातियों को जोड़ दिया तो गहलोत ने इसकी आलोचना की थी।

– वही जब राज्यसभा में बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने यह मुद्दा उठाया तो गहलोत ने साफ-सुथरे शब्दों में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला संविधान के अनुकूल नहीं है।

– इससे उन्होंने साबित कर दिया की जब बारी आई संवैधानिक प्रक्रिया के पालन और अनुसूचित जाति (SC) की भलाई की तो गहलोत ने बिना हिचक के अपनी ही पार्टी के सबसे कद्दावर मुख्यमंत्री के खिलाफ सदन के अपनी बात रखी।

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