लखनऊ में नगर निगम की टीम पर हमला, अवैध डेयरी हटाने पहुंची थी टीम

लखनऊ में अवैध डेयरी हटाने गई नगर निगम के साथ मारपीट की गई। टीम ने जो जानवर पकड़े थे, उनको भी छुड़ाया गया।

लखनऊ में अवैध डेयरी हटाने गई नगर निगम के साथ मारपीट की गई। टीम ने जो जानवर पकड़े थे, उनको भी छुड़ा लिया। समाजवादी पार्टी के पार्षद पंकज यादव और उनके सहयोगियों पर नगर निगम कर्मचारियों ने मारने और गाड़ी से जानवर छुड़ाने का आरोप लगा है।

नगर निगम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अभिनव वर्मा ने बताया कि पार्षद और उनकी टीम ने ड्राइवर, हेल्पर और बाकी कर्मचारियों को मारा है। अब इस पूरे मामले में नगर निगम की तरफ से गुडंबा थाने में तहरीर दी गई है।

कोर्ट के आदेश पर नगर निगम की कार्रवाई

कोर्ट के आदेश पर नगर निगम की टीम शहरी अवैध डेयरियों को हटाने का अभियान चला रही है। शुक्रवार को कंचना बिहारी मार्ग स्थित आदिल नगर टीम पहुंची थी। टीम ने वहां से 12 भैंस और 4 गायों को जब्त किया। नगर निगम की गाड़ी में डाला। उसी समय सपा पार्षद और उनके साथी पहुंचे।

जानवरों को छोड़ने को लेकर विवाद

बताया जा रहा है कि पार्षद व दूसरे लोगों ने जानवरों को छोड़ने की बात कही, लेकिन कर्मचारियों ने ऐसा करने से मना कर दिया। इतना सुनते ही लोगों ने डंडे से टीम की पिटाई शुरू कर दी। स्थानीय लोगों के साथ मिलकर पूरे नगर निगम की टीम को घेर लिया गया। करीब 200 से ज्यादा लोगों ने पूरी टीम को घेर लिया और जानवर न छोड़ने पर और ज्यादा मारने की बात कही। मौके से करीब 70 फीसदी कर्मचारी डर से वजह से भाग खड़े हुए। गाड़ी रोकी गई और आराम से एक-एक जानवर को उतार लिया गया।

नगर निगम और पुलिस मौन रही

अभियान के दौरान नगर निगम प्रवर्तन दल और स्थानीय थाने की पुलिस मौके पर साथ थी, लेकिन जब कर्मचारियों को पीटा जा रहा था, तो किसी ने उनको छुड़ाया तक नहीं। प्रवर्तन दल में कई सेना से रिटायर कर्मचारी हैं।
थाने में तहरीर देने के लिए बैठे मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अभिनव वर्मा।

पंकज यादव का रहा है विवादों से पुराना नाता

जानकारी के मुताबिक सपा पार्षद पंकज यादव का विवादों से पुराना नाता रहा है। इससे पहले भी वह नगर निगम की टीम से लड़ाई कर चुके हैं। तब नगर निगम की टीम अवैध कब्जा को छुड़ाने गई थी तो वह टीम के बुलडोजर के सामने आ गए थे। उस समय भी काफी विवाद हुआ था। आरोप है कि उसने खुद भी अवैध निर्माण कराया है। तब नगर निगम की तत्कालीन मेयर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने सदस्यता रद्द करने की बात कही थी। हालांकि, तब उसके सहयोगी पार्षदों ने सभी को मनाया, जिसके बाद सदस्यता बची।
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