इटावा: बच्चों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले पोषाहार की खुली पोल !
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनपद में पोषाहार को लेकर खुली पोल ! बच्चों को दिये जाने बाला पोषाहार से कुपोषण दूर करने के उद्देश्य से आंगनवाड़ी के तहत सूखा राशन दिया जाता है,
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनपद में पोषाहार को लेकर खुली पोल ! बच्चों को दिये जाने वाला पोषाहार से कुपोषण दूर करने के उद्देश्य से आंगनवाड़ी के तहत सूखा राशन दिया जाता है, जिसे अनुपूरक पुष्टाहार कहते हैं यह पुष्टाहार 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, कुपोषित बच्चों और 11 से 14 साल की किशोरियों को दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश पोषाहार की कम मात्रा और पोषाहार की कम मात्रा और अनियमित वितरण के बीच कुपोषण से लड़ता यूपी
यूपी में 1.89 लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्र हैं कुपोषण दूर करने के उद्देशय से इन आंगनवाड़ी केंद्र से लाभार्थियों को सूखा राशन दिया जाता है।
आठ महीने में मिला सिर्फ तीन बार राशन
पोषाहार की कम मात्रा और अनियमित वितरण के बीच कुपोषण से लड़ता यूपी इटावा के अमीनाबाद में आंगनवाड़ी केंद्र से अनुपूरक पोषाहार लेती राधा देवी ने कहा इटावा मैं आठ महीने की गर्भवती हूं मुझे आंगनवाड़ी से हर महीने राशन मिलना चाहिए, लेकिन पिछले दो महीने में सिर्फ एक बार राशन मिला है जब की आठ महीने में सिर्फ तीन बार राशन मिला है, इतने में क्या होगा इटावा के बिरारी ग्राम पंचायत के अमीनाबाद गांव की रहने वाली राजवती (29) कहती हैं राजवती के दो बच्चे हैं, एक चार साल का और दूसरा एक तीन साल का जो कि कुपोषित है राजवती को आंगनवाड़ी से हर महीने 1.5 किलो गेहूं दलिया, एक किलो चावल, एक किलो चना दाल और 500 मिलीलीटर खाद्य तेल मिलना चाहिए।
भारत में 6 से 23 महीने के 89% बच्चों को नहीं मिलता पर्याप्त आहार
हालांकि,रीना देवी को अप्रैल के बाद जून में यह राशन मिल पाया, यानी दो महीने में एक बार इसी तरह उनके एक साल के अतिकुपोषित बच्चे को भी दो महीने में एक बार राशन मिला है बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के मानक के अनुसार अतिकुपोषित बच्चे को हर दिन 800 कैलोरी और 20 से 25 ग्राम प्रोटीन मिलना चाहिए, लेकिन जब आंगनवाड़ी से अनुपूरक पुष्टाहार ही दो महीने में एक बार मिलेगा तो मानक कैसे पूरा होगा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत में 6 से 23 महीने के 89% बच्चों को पर्याप्त आहार नहीं मिलता।
इस मामले में सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश (यूपी) और गुजरात की है यूपी और गुजरात में सिर्फ 5.9% बच्चों को पर्याप्त आहार मिलता है उत्तर प्रदेश में कुपोषण दूर करने के उद्देश्य से आंगनवाड़ी के तहत सूखा राशन दिया जाता है, जिसे अनुपूरक पुष्टाहार कहते हैं यह पुष्टाहार 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, कुपोषित बच्चों और 11 से 14 साल की किशोरियों को दिया जाता है।
डेटा इंट्री में लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे लाभार्थी
हालांकि प्रदेश में यह योजना अनियमितताओं की शिकार है इंडियास्पेंड ने अलग-अलग जिलों की आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों से बात की तो जानकारी हुई कि लाभार्थियों की संख्या के मुकाबले राशन बहुत कम मात्रा में आता है और ऐसे में बहुत से लोग इससे वंचित रह जाते हैं डेटा इंट्री में लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे लाभार्थी यूपी में 1.89 लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्र हैं।
इंडियास्पेंड के पास उपलब्ध बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2021 में इन आंगनवाड़ी केंद्रों से करीब 1.59 करोड़ लाभार्थियों को सूखा राशन दिया जाता था। यह आंकड़ा हर कुछ महीने में कम-ज्यादा होता है ऐसे में हर तीन महीने में नए लाभार्थी जोड़ने और अपात्रों को हटाने का काम किया जाता है, और यहीं से दिक्कत शुरू होती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी डेटा इंट्री पर नहीं देते ध्यान
इस दिक्कत के बारे में यूपी के बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक डॉ. सारिका मोहन इंडियास्पेंड से कहती हैं,राशन की कमी नहीं है हर तीन माह पर हम अपनी जरूरत का आंकलन करते हैं और सप्लायर को लाभार्थियों का आंकड़ा भेजते हैं यह देखने में आता है कि कई जिला कार्यक्रम अधिकारी डेटा इंट्री पर ध्यान नहीं देते, इसलिए दिक्क्त आती है हमने ऐसे जिलों को लिखित में कहा है, कि एमपीआर (मासिक प्रगति रिपोर्ट) को अपडेट रखना है।
क्योंकि राशन उसी हिसाब से मिलेगा बार बार कहने के बावजूद भी कुछ जिले ऐसे हैं जो पूरी डेटा इंट्री नहीं करते, वहीं दिक्कत होती है अनुपूरक पुष्टाहार (सूखा राशन) की सप्लाई और लाभार्थियों की संख्या में अंतर होता है, इसलिए बहुत से लाभार्थी इससे छूट जाते हैं बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से अलग-अलग वर्ग के हिसाब से राशन का वितरण किया जाता है,जिसका विवरण निम्नलिखित है।
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