# यूपी की राजनीति : पैतृक विरासत की सियासत का असली हकदार ” कौन बनेगा “
इस चरण की बात करें तो ये तय होगा की सोनें लाल पटेल की विरासत पर हक किसको मिलेगी, पारिवारिक विवाद की तल्खी कम होगी या फिर उसमें इज़ाफा होगा ?
जी हाँ आज हम बात कर रहे हैं सोनें लाल पटेल के विरासत ( inheritance ) की। जिसकी रणभूमि सिराथू होगी। जहां से चुनावी मैदान में भाजपा ने डिप्टी सीएम केशव मौर्या को उतारा हैं। केशव मौर्या की हम बात बाद में करेंगे। पहले अभी हम सोनें लाल पटेल के विरासत की बात करेंगे।
खूब लड़े मगर जीते नहीं
सोनें लाल पटेल ओबीसी राजनीति का वो चेहरा जिसनें बताया कि ओबीसी में कुर्मी का महत्तव क्या है ? एमएमसी टॉपर व डॉक्टरेट सोनेलाल पटेल का सियासी सफऱ चौधरी चरण सिंह से शुरु हो कर अपना दल पर रुका। तो वहीं बीच में मायावती का भी साथ मिला। वो चुनाव भी खूब लडे़ लेकिन कभी जीत नही सके।
बेटी ने बढ़ाया पिता का मान
लेकिन उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल विधायक बनी सांसद बनी और फिर केन्द्र में मंत्री भी बनी । यानी अनुप्रिया नें अपनें पिता सोने लाल पटेल के ख्वाब को सच भी किया व उनके राजनैतिक विरासत को आगे भी बढाया। 2022 के इस जंग में सोनें लाल पटेल की विरासत भी दांव पर है। चौथा चरण बातएगा। आखिर सोनें लाल पटेल की विरासत किसके पास है ?
अपनों की अपनों से लड़ाई
चौथे चरण में पटेल कुनबा मैदान में हैं तो सिऱाथू में आमनें सामनें भी है। अनुप्रिया पटेल केशव मौर्या के लिये मेहनत कर रही हैं तो उनकी सगी बहन पल्लवी पटेल केशव के खिलाफ ताल ठोक रही है। यानी अपना दल (सोनेलाल) और अपना दल (कमेरावदी) एक दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं। तो वहीं सोनें लाल पटेल की बेवा अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर सीट से खुद चुनावी मैदान में हैं।
विवाद की जड़ बढ़ेगी या कटेगी
भाजपा ने अनुप्रिया की अगुवाई वाले अद (एस) को कुल 17 सीटें दी हैं। जिनमें से सबसे अधिक सात सीटें पांचवें चरण की हैं। अब भाजपा के सामने खुद को साबित करने की चुनौती अनुप्रिया के हांथों में हैं। तो दस मार्च को नतीजे ना सिर्फ सूबे का मुस्तकबिल तय करेगी। साथ में ये भी तय करेंगी की सोनें लाल पटेल की विरासत पर हक किसका है ? तो देखना दिलचस्प भी होगा कि पारिवारिक विवाद की तल्खी कम होगी या फिर उसमें इज़ाफा होगा ?