#FRAUD : जिन्दा को मृत बता बुजुर्ग की जमीन हड़पी !

राम अभिलाख व उनका परिवार पिछले 6 महीनों से न सुख से एक वक्त का निवाला खा पा रहा और न ही चैन से सो पा रहा है

गोंडा : एक दिन आप सुबह नीद से जागे और आपको पता चले कि आपकी जमीन जायदाद आपके जिंदा रहते किसी दूसरे के नाम हो गई। वह भी दस्तावेजों में यह बताकर की आपकी मृत्यु हो चुकी है। तो आप क्या करेंगें? अपने आपको जिंदा साबित करने के लिए आप सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाएंगे। वह भी हफ्तों से लेकर महीनों तक।

न सुख से निवाला खा पा रहा और न ही चैन से सो पा रहा

कुछ ऐसा ही मामला गोंडा में भी हुआ है, 82 साल के राम अभिलाख अपने आखिरी दिनों को जी रहे है। लेकिन इन्हे पिछले 6 महीनों से नीद नहीं आ रहे। राम अभिलाख व उनका परिवार पिछले 6 महीनों से न सुख से एक वक्त का निवाला खा पा रहा और न ही चैन से सो पा रहा है। यह सब हो रहा राजस्व विभाग के लापरवाही से। गोंडा जिलाधिकारी, सदर एसडीएम, तहसीलदार और लेखपाल पुर्णताया सभी जिम्मेदार है।

कुछ हो गया तो उनके बच्चे सड़क पर आ जायेंगे

राम अभिलाख अभी जीवित है लेकिन राजस्व विभाग की लापरवाही से खतौनी में इनकी मौत हो चुकी है, और इन्हे मृतक बताकर इनकी लगभग 12 बीघे की जमीन किसी दूसरे के नाम कर दी गई है। जिस जगह पर राम अभिलाख लेटे हुए अपने आखिरी दिनों को काट रहे है यह भी जमीन दूसरे के नाम दस्तावेजों में दर्ज हो चुका है। सबसे ज्यादा चिंता 82 साल के राम अभिलाख को इस बात की है कि पिछले 6 महीने से खुद जिंदा साबित करने के लिए अधिकारियों के दरबार के चक्कर काट रहे है। लेकिन अधिकारी इनकी पीड़ा सुनने के लिए तैयार नहीं है, इन्हें डर है कि कल को इन्हें कुछ हो गया तो उनके बच्चे सड़क पर आ जायेंगे।

 तहसीलदार से लेकर डीएम गोंडा से इसकी शिकायत की

दासियापुर गांव के रहने वाले राम अभिलाख को जैसे ही यह पता चला की उनकी खतौनी में उन्हें मृतक दिखाकर किसी और के नाम कर दी गई है। वैसे ही पूरा परिवार हरकत में आया और सदर तहसीलदार से लेकर डीएम गोंडा से इसकी शिकायत की और खतौनी में सुधार की मांग की। लेकिन सभी अधिकारियों के पटल से राम अभिलाख को निराशा ही हाथ लगी, देखते देखते 6 महीने बीत गए।

जीते जी किसी और के नाम अपनी जमीन नहीं की

लेकिन इन अधिकारियों को सारी जानकारी होते हुए मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अगर इस बीच 82 साल के राम अभिलाख की मौत हो जाती है, तो राम अभिलाख का परिवार बर्बाद हो जाएगा। बेटों को दशकों यह साबित करने में लग जायेगा की राम अभिलाख उनके पिता थे और उन्होंने अपने जीते जी किसी और के नाम अपनी जमीन नहीं की।

बाइट : धर्मेंद्र पांडे, परिजन

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