शिक्षक दिवस क्यों है ख़ास !
वो भी अपने शिक्षकों इ प्राप्त करके आया होगा तभी उसे ज्ञान मिल पाया और ज्ञान की प्राप्ति होने की वजह से इस पद को हासिल कर पाया। हमारे जिंदगी में सबसे पहले जो शिक्षक बन के अगर कोई आता है।
एक शिक्षक का अस्तित्व होना बहुत जरूरी होता है बिना शिक्षक के कोई भी आजतक आगे नहीं बड़ पाया जरूरी नहीं की शिक्षक सिर्फ स्कूल या कॉलेज वाले ही तो बल्कि असली शिक्षक तो वो होता है। जो गलत काम करने से रोके सही दिशा दिखाए अगर आज एक डॉक्टर एक इंजिनियर कोई वैश्य बना है। वो भी अपने शिक्षकों इ प्राप्त करके आया होगा तभी उसे ज्ञान मिल पाया और ज्ञान की प्राप्ति होने की वजह से इस पद को हासिल कर पाया। हमारे जिंदगी में सबसे पहले जो शिक्षक बन के अगर कोई आता है।
हमारे जिंदगी में सबसे पहले शिक्षक
वो होते है माँ बाप जो बचपन से सही राह दिखते है शिक्षक दिवस पर छात्र अपने गुरुओं और टीचर्स को सम्मान देकर उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं। इस दिन भारत को भारत के राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं शिक्षक दिवस का इतिहास और महत्व 5 सितंबर 1888 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। भारत रत्न डॉ. राधाकृष्णन स्वंय एक महान शिक्षक थे।
क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस
एक बार जब शिष्यों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का सोचा तो राधाकृष्णन ने कहा कि ‘मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो मुझे गर्व होगा। पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था। डॉ राधाकृष्णनन ने अपने जीवन के अहम 40 साल एक शिक्षक के रुप में देश को दिए थे। उन्होंने हमेशा शिक्षकों के सम्मान पर जोर दिया उनका कहना था कि एक सच्चा शिक्षक समाज को सही दिशा देने का काम करता है।
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