पाकिस्तान को क्यों दिया रूस ने सस्ते दामों पर तेल !

पाकिस्‍तान की शहबाज सरकार का दावा है कि वे रूस से जो तेल खरीद रहे हैं उससे उनके मुल्‍क में आसमान छूती तेल की कीमतों में गिरावट आएगी, लेकिन विशेषज्ञ इससे सहमत होते नहीं दिख रहे हैं।

 

पकिस्तान इन दिनों स्तिथि बत से बत्तर होती जा रही है पकिस्तान में लोग भुकमरी का अब शिकार हो रहे है और साथ ही उनकी आर्थिक हालत भी पस्त होती दिख रही है  स्तिथि ये हो गयी है की अब पकिस्तान को रूस से कच्चा तेल मांगना पड़ गया है अब सवाल उठता है कि पाकिस्‍तान ने रूस से तेल खरीदने के लिए चीन की करंसी ‘युआन’ क्‍यों इस्‍तेमाल की। पाकिस्‍तान की शहबाज सरकार का दावा है कि वे रूस से जो तेल खरीद रहे हैं उससे उनके मुल्‍क में आसमान छूती तेल की कीमतों में गिरावट आएगी, लेकिन विशेषज्ञ इससे सहमत होते नहीं दिख रहे हैं।

Pakistan:रूसी कच्चे तेल की पहली खेप अगले महीने पहुंचेगी पाकिस्तान, रूस को  भुगतान करने में होगी दिक्कत - Russia Will Send Its First Consignment Of  Crude Oil To Cash Strapped ...

पकिस्तान की आर्थिक स्तिथि बिगड़ी

एक इसकी वजह अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व वाली एक्‍सपोर्ट पेमेंट पॉलिसी में हुआ महत्वपूर्ण बदलाव है। ऐसे में सस्‍ते रूसी कच्चे तेल के अपने पहले गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट इंपोर्ट के लिए पाकिस्तान ने चीनी करंसी में भुगतान किया रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि इस साल की शुरुआत में इस्लामाबाद और मास्को के बीच हुए एक नए सौदे के तहत रूस से डिस्‍काउंट के तहत मिले कच्चे तेल की पहली खेप रविवार, 11 जून को कराची पहुंची।

pakistan discounted crude oil from russia, पाकिस्तान को डिस्काउंट पर कच्चा  तेल बेचेगा रूस, लेकिन खरीद पाना नहीं आसान, सस्ते तेल के लिए फिर तरसेंगे  पाकिस्तानी ...

पाकिस्‍तान के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर पर्याप्‍त नहीं बचे

अभी पेट्रोलियम मंत्री मुसादिक मलिक ने कीमत या पाकिस्तान को मिलने वाली छूट सहित सौदे के विवरण का खुलासा नहीं किया, लेकिन ये जरूर बताया है कि रूस को भुगतान चाइनीज करंसी में किया गया था. मुसादिक मलिक ने कहा कि रूस के साथ पाकिस्तान की पहली गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट डील में 100,000 टन तेल की खरीद शामिल है, जिसमें से 45,000 टन तेल समुद्री जहाज से कराची बंदरगाह पर पहुंच चुका है।, ये खरीद मास्को को भारत और चीन की बढ़ती बिक्री में जोड़ने के लिए एक नया आउटलेट देती है, क्योंकि यह यूक्रेन युद्ध के चलते पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से राहत देती है।

 

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