#सावन प्रारम्भ : करें शिव की साधना, ज्योतिर्लिंगों करके आराधना !

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग है पुराणों के अनुसार जहां जहां ज्योतिर्लिंग है उन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे

सत्यम शिवम् सुंदरम शिव ही सत्य है शिव ही सुन्दर है ..शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। शिव का अर्थ कल्याणकारी माना गया है। लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। शिव की जटा से निकली पावन गंगा सदीओ से धरती पर जीवनदायनी है शिव भक्तो की आस्था देश विदेश से आइए भक्तजनो में देखने को मिलती है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग है पुराणों के अनुसार जहां जहां ज्योतिर्लिंग है उन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। माना जाता है की इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से सभी पाप समाप्त हो जाते है। आईए जानते है भगवन शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व :

सोमनाथ मंदिर गुजरात में

गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर पहला ज्योतिर्लिंग है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी का पहला ज्योर्तिलिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है. इस छेत्र में भगवन श्रीकृष्ण ने यदु वंश का संघार करने के बाद अपनी नर लीला समाप्त कर ली थी “जरा” नामक शिकारी ने अपने बाणों से उनके चरणों को भेद डाला था

मल्लिकार्जुन आंध्र प्रदेश में

आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन दूसरा ज्योतिर्लिंग है कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से लोगों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन में

मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन होने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। तृतीय ज्योतिर्लिंग महाकाल या ‘महाकालेश्वर’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान मध्य प्रदेश के उज्जैन में है, जिसे प्राचीन साहित्य में अवन्तिका पुरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान महाकालेश्वर का भव्य ज्योतिर्लिंग विद्यमान है।

मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में शिव का यह पावन धाम स्थित है। इंदौर शहर के पास जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है। ओंकारेश्वर स्थान भी मालवा क्षेत्र में ही पड़ता है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में

उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की केदार चोटी पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की चोटी पर विराजमान श्री ‘केदारनाथ’ जी का है जिसे ‘केदारेश्वर’ भी कहा जाता है, इस शिखर से पूर्व दिशा में अलकनन्दा नदी के किनारे भगवान श्री बद्री विशाल का मन्दिर है। जो कोई व्यक्ति बिना केदारनाथ भगवान का दर्शन किए यदि बद्रीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है, तो उसकी यात्रा निष्फल अर्थात व्यर्थ हो जाती है।

महाराष्ट्र में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग का नाम ‘भीमशंकर’ है, यह स्थान महाराष्ट्र में स्थित है, जो भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं। भीमा नदी भी इसी पर्वत से निकलती है। भारतवर्ष में प्रकट हुए भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंग में श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का छठा स्थान हैं।

उत्तर प्रदेश में बाबा विश्वनाथ

बाबा विश्वनाथ का यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश की धार्मिक स्थल माने जाने वाली वाराणसी शहर में स्थित है। सप्तम ज्योतिर्लिंग काशी में विराजमान ‘विश्वनाथ’ को सप्तम ज्योतिर्लिंग कहा गया है। कहते हैं, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है। जहा देश विदेश के कोने कोने से श्रद्धालु आस्था के साथ आते है मन में भोले की आस्था और हर हर भोले का जाप करते हुए दर्शन पाते है वही कल कल बहती पावन गंगा में डुबकी लगाने से सभी के पाप धूल जाते है माना जाता है की शिव की जाटा से निकली गंगा सदीओ से धरती पर जीवनदायनी है

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में

महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग। अष्टम ज्योतिर्लिंग को ‘त्र्यम्बक’ के नाम से भी जाना जाता है। यहां ब्रह्मगिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी निकलती है। जिस प्रकार उत्तर भारत में प्रवाहित होने वाली पवित्र नदी गंगा का विशेष आध्यात्मिक महत्त्व है, उसी प्रकार दक्षिण में प्रवाहित होने वाली इस पवित्र नदी गोदावरी का विशेष महत्त्व है।

झारखंड में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड प्रांत के संथाल परगना में स्थित है। धार्मिक पुराणों में शिव के इस पावन धाम को चिताभूमि कहा गया है। नवम ज्योतिर्लिंग ‘वैद्यनाथ’ हैं। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन के समीप में है। पुराणों में इस जगह को चिताभूमि कहा गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे ‘वैद्यनाथधाम’ कहा जाता है

गुजरात में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में स्थित है। धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर। द्वारका पुरी से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। नागेश नामक ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है। इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है।

तमिलनाडु में रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग

रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में स्थित है जिसे सेतुबंध तीर्थ भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान श्री राम द्वारा स्थापित किए जाने के कारण इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम पर रामेश्वरम दिया गया है। समुद्र के किनारे भगवान रामेश्वरम का विशाल मन्दिर शोभित है।

महाराष्ट्र में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में विराजमान है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इस स्थान को ‘शिवालय’ भी कहा जाता है। घृश्णेश्वर को लोग घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर भी कहते हैं। घृश्णेश्वर से लगभग आठ किलोमीटर दूर दक्षिण में एक पहाड़ की चोटी पर दौलताबाद का क़िला मौजूद है।

विष पी कर शिव नीलकंठ कहलाए

जटा में गंगा धारण मस्तक पर चन्द्रमा और हाथ में त्रिशूल लिए भोले संघार के देवता भी मने जाते है। इसके अलावा नीलकंठ और भोलेनाथ भी कहा जाता है। जब समय समुंद्र मंथन का आया था तब विष पी कर शिव नीलकंठ कहलाए। शिव ब्रम्हांड के निर्माता और सृष्टि रचने वाले प्रमुख तीन देवताओं में से एक हैं। भगवान शिव को भारत के अलग-अलग जगहों में महाकाल, संभु, नटराज, महादेव, भोले, आदियोगी नामों से जाना जाता है। भगवन शिव को शिवलिंग, रुद्राक्ष सहित कई तरह के रूपों में पूजा जाता है।

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