फिल्म आदिपुरुष को लेकर राजनीतिक बयानबाजी !

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस फिल्म को लेकर अपनी बात राखी है और साथ ही उन्होंने इस मामले में ट्वीट कर जोरदार तंज कसा है। अखिलेश यादव ने कहा है कि एजेंडे वाली मनमानी फिल्मों को प्रमाण पत्र कैसे दिए जा रहे हैं।

आदिपुरुष फिल्म इस वक्त काफी विवादों में घिरी हुयी है इस फिल्म को लेकर धरना प्रदर्शन  भी शुरू है लखनऊ के हज़रतगंज में इस फिल्म के पोस्टर्स भी जलाये गए है आपको बता दे की समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस फिल्म को लेकर अपनी बात रखी है और साथ ही उन्होंने इस मामले में ट्वीट कर जोरदार तंज कसा है। अखिलेश यादव ने कहा है कि एजेंडे वाली मनमानी फिल्मों को प्रमाण पत्र कैसे दिए जा रहे हैं। सेंसर बोर्ड पर भी उन्होंने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हाल के समय में अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

Akhilesh Yadav Adipurush Controversy: आदिपुरुष विवाद पर अखिलेश यादव ने सेंसर बोर्ड पर उठाए सवाल एजेंडे वाली फिल्मों को प्रमाण पत्र देने के मसले पर किया सवाल ...

अखिलेश यादव ने भी इस फिल्म को लेकर राखी बात

हिंदुवादी मसलों पर अब वे मुखर होकर बोल रहे हैं। पिछले दिनों सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने इटावा में भगवान राम की प्रतिमा स्थापना के दौरान कहा था कि राम सबके हैं।सपा अध्यक्ष अब आदिपुरुष फिल्म पर भड़के दिख रहे हैं। उन्होंने कहा है कि एजेंडेवाली मनमानी फिल्में बनाने वालों को सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र देने से पहले उनके ‘राजनीतिक-चरित्र’ का प्रमाण पत्र देखना चाहिए।

प्रभास-सैफ की 'आदिपुरुष' पर बैन की मांग, क्या सरकार या सेंसर बोर्ड इसे रिलीज करने से रोक सकता है? - prabhas saif ali khan starer adipurush contrversy know can sensor board government

सपा अध्यक्ष अब आदिपुरुष फिल्म पर भड़के

ट्वीट में तीखा तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जो राजनीतिक आकाओं के पैसे से एजेंडेवाली मनमानी फिल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी फिल्मों को प्रमाण देने से पहले उनके राजनीति चरित्र का प्रमाण पत्र देखना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्या सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है। एक अन्य ट्वीट में अखिलेश ने केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि लोन लेकर जानबूझकर बैंकों को धोखा देनेवालों के लिए भाजपा सरकार कारपेट बिछा रही है। बैंकों से इन फरेबियों से समझौते करवा रही है। किसान के कर्ज या आम जनता की बीमारी, पढ़ाई या घर के कर्ज की वसूली के लिए तो सरकार बैंकों से क्या-क्या उत्पीड़न करवाती है तो फिर धोखेबाज़ों पर कृपा क्यों?

 

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