जाने कैसे सनातन संस्कृति आज भी “विक्रमादित्य” के कारण अस्तित्व में है ?

आज हिंदुस्तान की सनातन संस्कृति और नाम केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सम्राट अशोक ने बौद्ध मत अपना लिया।

जब महान शासकों कि बात होती हैं तो जहँ में एक नाम राजा विक्रमादित्य का भी आता हैं जिन्हे आदर्श राजा के रूप में भी देखा जाता हैं। अपनी बुद्धि, पराक्रम, जूनून से इन्होने आर्यावर्त के इतिहास में अपना नाम अमर किया है। आज हम उनसे जुड़ी कुछ खास बातें करेंगे,

– उज्जैन के राजा गन्धर्व सैन थे। इनकी तीन संताने थी, सबसे बड़ी संतान एक लड़की थी मैनावती, दूसरी संतान लड़का भृतहरि और सबसे छोटी संतान वीर विक्रमादित्य।

– आज हिंदुस्तान की सनातन संस्कृति और नाम केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सम्राट अशोक ने बौद्ध मत अपना लिया। और अशोक के बाद उसके उत्तराधिकारी भी बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में लग गए, जिससे कि सनातन धर्म लगभग समाप्त होने के कगार पर आ गया।

– शायद ही आपको पता हो कि रामायण और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे। तब महाराज विक्रमादित्य ने ही इनकी पुनः खोज करवा कर इन्हें जन जन के मन में स्थापित किया। जगह-जगह भगवान विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाए।सनातन धर्म की रक्षा की एवं प्रसार किया।

– विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् को लिखा। जिसमें भारत का वृहद इतिहास है। अन्यथा भारत का इतिहास तो दूर की बात हम भगवान् कृष्ण और राम के अस्तित्व को भी खो चुके होते। इसके अलावा हमारे कई ग्रन्थ भी भारत में खोने के कगार पर आ गए थे।

– वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्षनाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म की रक्षा हुई, हमारी संस्कृति सुरक्षित हुई।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button