हाईकोर्ट का आदेश, ’15 साल की मुस्लिम लड़की अपनी मर्जी से कर सकती है शादी’

झारखंड हाई कोर्ट ने इस्लामिक कानून का हवाला देते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा...

झारखंड हाई कोर्ट ने इस्लामिक कानून का हवाला देते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि 15 साल की उम्र पूरी करने वाली कोई भी मुस्लिम लड़की अपनी पसंद के लड़के से शादी कर सकती है। कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। इस्लामी कानून के विपरीत भारतीय कानून में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है और इससे कम उम्र में शादी करने पर जेल की सजा का प्रावधान है। भारतीय कानून पूरे देश में मुसलमानों को छोड़कर सभी धर्मों के लोगों पर लागू होता है, जबकि मुसलमानों के लिए अदालतें भी इस्लामी कानून के अनुसार फैसले देती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने यह फैसला लड़की के पिता द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका लड़की के पति ने दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका के जरिए हाईकोर्ट से राहत मांगी थी। इस मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस एस के द्विवेदी की बेंच ने की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस्लामिक कानून के मुताबिक 15 साल या उससे ज्यादा उम्र की मुस्लिम लड़की अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र है। इसके साथ ही कोर्ट ने लड़की के पिता द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को अमान्य करार दिया है. कोर्ट ने इस फैसले से ठीक पहले लड़के और लड़की के बयान दर्ज किए थे. इसमें युवती ने पति के साथ रहने की इच्छा जताई।

लड़की के पिता ने लड़के के खिलाफ…

झारखंड के जमशेदपुर के जुगसलाई की रहने वाली युवती और बिहार के नवादा जिले के रहने वाले मोहम्मद सोनू का लंबे समय से अफेयर चल रहा था। दोनों ने घर से भागकर शादी कर ली। हालांकि, लड़की के पिता ने लड़के के खिलाफ शादी का झांसा देने और अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं में मामला दर्ज कराया है। जब पुलिस ने मोहम्मद सोनू को गिरफ्तार करने की कोशिश शुरू की, तो उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अपने ससुर की प्राथमिकी को चुनौती दी।

हाई कोर्ट के फैसले के बाद लड़की के पिता ने भी अपनी सहमति दे दी है। उन्होंने हलफनामा दायर कर कहा कि उन्हें अपनी बेटी की शादी से कोई आपत्ति नहीं है। उन्हें कुछ गलतफहमी हुई थी। इसी गलतफहमी के चलते उन्होंने एफआईआर दर्ज करा दी। लेकिन अब सब ठीक है।

अन्य सभी धर्मों के लिए क्या है कानून:

बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मुसलमानों को छोड़कर सभी के लिए बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है। 18 वर्ष की किसी भी लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह वर्जित है। इस अधिनियम के अनुसार बाल विवाह अधिनियम और पॉक्सो अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, जो दंडनीय है। इतना ही नहीं बल्कि बाल विवाह में शामिल होने वाले व्यक्तियों के लिए सजा का भी प्रावधान है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के तहत संस्कार करने वाले और बाल विवाह करने वाले व्यक्ति को दो साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।

 

 

 

 

 

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