BIG BREAKING: जज के सामने हुआ शूटआउट, माफिया संजीव का काम तमाम !
लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट के भीतर गैंगस्टर संजीव महेश्वरी जीवा को गोली मारकर हत्या कर दी गई. हमलावर वकील की ड्रेस में था. संजीव महेश्वरी मुख्तार
लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट के भीतर गैंगस्टर संजीव महेश्वरी जीवा को गोली मारकर हत्या कर दी गई. हमलावर वकील की ड्रेस में था. संजीव महेश्वरी मुख्तार अंसारी का करीबी था. वह बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड का आरोपी था. पेशी के लिए संजीव को कोर्ट में लाया गया था. गोली कांड में चार पांच लोगों की घायल होने की भी खबर है. संजीव महेश्वरी जीवा पश्चिम यूपी का कुख्यात गैंगस्टर था. पुलिस ने एक हमलावर को हिरासत में लिया है. घायल अवस्था में हमलावर को पुलिस अस्पताल ले गई।
आइये आपको बताते हैं की कौन है संजीव माहेश्वरी उर्फ़ जीवा
माहेश्वरी उर्फ़ संजीव जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था। इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। उस वक्त किसी से दो करोड़ की फिरौती की मांग होना भी अपने आप में बहुत बड़ी होती थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी।
जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क
इसके बाद उसका नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया। जिसमें बाद में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। फिर जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआ और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया।
17 मामलों में संजीव बरी हो चुका
हालांकि, कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। वहीं, संजीव पर जेल से भी गैंग ऑपरेट करने के आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में उसकी संपत्ति भी प्रशासन द्वारा कुर्क की गई थी।
संजीव जीवा की हत्या उसी तरह से हुई
जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद है, लेकिन साल 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि उनकी (जीवा) जान को खतरा है। बता दें कि, पायल 2017 में आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं और उन्हें हार मिली थी।
बहरहाल आज कोर्ट में संजीव जीवा की ह्त्या उसी तरह से हुई है जिस तरह से वो हत्याओं को अंजाम देता था। लेकिन इतना जरूर है की कोर्ट के अंदर इस तरह से हुई हत्या ने कई सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।
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