Ganesh Chaturthi: इस गणेश चतुर्थी पड़ेंगे 2 बड़े संयोग, जाने कब पूजा करने से पूरी होगी सभी मनोकामना !

सनातन धर्म के प्रथम पूज्य भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था जिसे पूरी दुनिया गणेश चतुर्थी के नाम से जानती है।

सनातन धर्म के प्रथम पूज्य भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था जिसे पूरी दुनिया गणेश चतुर्थी के नाम से जानती है। इस वर्ष 2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विद्या-बुद्धि के प्रदाता,विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, सिद्धिदायक, सुख-समृद्धि और यश-कीर्ति देने वाले देवता माना गया है।

 

जाने इस वर्ष का पूजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष की गणेश चतुर्थी बहुत खास ही नहीं बल्कि शुभ भी होने वाली हैं।दरअसल इस गणेश चतुर्थी पर एक ऐसा दुर्लभ योग भी बन रहा है जो पिछले 300 सालों में नहीं बना। इस साल वो सारे योग-संयोग बन रहे हैं, जो गणेश जी के जन्म पर बने थे। गणेश जी की पूजा का पहला संयोग नक्षत्र चित्रा और मध्याह्न काल यानी दोपहर का समय में दिन बुधवार,तिथि चतुर्थी को बनेगा ये ही वो संयोग था जब पार्वती जी ने मिट्टी के गणेश बनाए थे और शिव जी ने उसमें प्राण डाले थे। उसी के साथ कुछ और दुर्लभ, शुभ संयोग बनेंगे जो 31 अगस्त से 9 सितंबर तक गणेश उत्सव के दौरान रहेंगे।

जाने गणेश उत्सव का इतिहास

भारत के हिंदू ही नहीं बल्कि अन्य धर्मो में भी मनाया जाना वाला इस अनोखे पर्व को लेकर शिव पुराण में इस बात का उल्‍लेख मिलता है कि इस त्‍योहार को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।वही आज के समय की बात करे तो गणेशउत्सव की शुरुआत सबसे पहले महाराष्‍ट्र से हुई। सवाई माधवराव पेशवा के शासन में पूना के प्रसिद्ध शनिवारवाड़ा (Shaniwarwada) नामक राजमहल में भव्य गणेशोत्सव मनाया जाता था। जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पेशवाओं के राज्यों पर अधिकार कर लिया। तब से वहां इस त्‍योहार की रंगत कुछ फीकी पड़ना शुरू हो गई।

उसके कुछ वर्षो बाद महान क्रांतिकारी व जननेता लोकमान्य तिलक ने हिंदुओं को एकत्र करने के उद्देश्‍य से पुणे में सन 1893 में सार्वजनिक (Public) गणेश उत्‍सव की शुरुआत की। तब यह तय किया गया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तक गणेश उत्सव मनाया जाए और तब से पूरे महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में यह उत्‍सव 11 तक मनाया जाने लगा। उसके बाद देश के बाकी राज्‍यों में भी इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाने लगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button