Breaking News : चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, “चुनावी बॉन्ड स्कीम असंवैधानिक” !

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगाने के साथ कहा कि यह स्कीम RTI का उल्लंघन है।

लोक सभा चुनाव से पहले सरकार को बड़ा झटका मिल गया है ,चुनावी बॉन्ड के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुना दिया है सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगा दी ,कोर्ट ने कहा कि यह स्कीम RTI का उल्लंघन है। इतना ही नहीं उच्चतम अदालत ने SBI से 6 मार्च तक चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए कहा है।

SC Declares Electoral Bonds Unconstitutional, Asks SBI to Stop Sale |  NewsClick

राजनीतिक दलों को मिलने वाले गुमनाम तरीके से चंदे

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 2 नवंबर को सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। मामला राजनीतिक दलों को मिलने वाले गुमनाम तरीके से चंदे की है जो उन्हें इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में मिलता है। बता दें कि पिछले साल 31 अक्टूबर को कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिकाओं सहित चार याचिकाओं पर सुनवाई हुई है।

छोटे चंदे की जानकारी सार्वजनिक करना गलत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस योजना से काले धन पर रोक की दलील दी थी। लेकिन इस दलील से लोगों के जानने के अधिकार पर असर नहीं पड़ता.कोर्ट ने कहा, सरकार ने दानदाताओं की गोपनीयता रखना जरूरी बताया ,लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं। चुनावी बॉन्ड योजना आर्टिकल 19 1(a) के तहत हासिल जानने के मौलिक अधिकार का हनन करती है। हालांकि, हर चंदा सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के लिए नहीं होता ,राजनीतिक लगाव के चलते भी लोग चंदा देते हैं, इसको सार्वजनिक करना सही नहीं होगा, इसलिए छोटे चंदे की जानकारी सार्वजनिक करना गलत होगा।

राजनीतिक लगाव के चलते भी लोग देते है चंदा

किसी व्यक्ति का राजनीतिक झुकाव निजता के अधिकार के तहत आता है। राजनीतिक लगाव के चलते भी लोग चंदा देते हैं। इसको सार्वजनिक करना सही नहीं होगा। इसलिए छोटे चंदे की जानकारी सार्वजनिक करना गलत होगा। किसी व्यक्ति का राजनीतिक झुकाव निजता के अधिकार के तहत आता है।

Supreme Court strikes down electoral bonds scheme as 'unconstitutional'

आखिर क्या है चुनावी बॉन्ड ?

चुनावी बॉन्ड वह साधन है जिसके माध्यम से कोई भी दानदाता अपनी पहचान उजागर किए बिना, राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता है। योजना के प्रावधानों के तहत, भारत का कोई भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई चुनावी बांड खरीद सकते हैं। इनकी कीमत ₹1,000 से लेकर ₹1 करोड़ तक है और इन्हें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की सभी शाखाओं से प्राप्त किया जा सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड सरकार द्वारा 2 जनवरी 2018 में पेश किया गया था।

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