Karnataka Assembly Elections: केंद्रीय चुनाव आयोग का बड़ा फैसला !

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए हर दल मजबूती से अपनी कुर्सी की पेटी मजबूत करने में लगा हुआ है और जहा-जहा बीजेपी सरकार रोड शो कर रही है

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए हर दल मजबूती से अपनी कुर्सी की पेटी मजबूत करने में लगा हुआ है और जहां-जहां बीजेपी सरकार रोड शो कर रही है उसके विपरीत कांग्रेस भी अपना रुतबा कायम करने में लगी हुई है। केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से कुछ ऐसे सवाल खड़े हो गए है की अगर कोई भी दल दूसरे दल पर तंज कसता है ,आरोप लगाता है तो उसके लिए पुख्ता सबूत होना जरूरी है। ताकि पार्टी के सदस्यों पर कोई उंगली न उठा सके।

Mainpuri Lok Sabha By Election 2022Akhilesh Yadav Met PSPL Chief Shivpal  Yadav and touches his feet atop the stage while campaigning for the  byelections in Mainpuri

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियों की मजबूती

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए सोमवार (8 मई) को एक विज्ञापन दिया। इस विज्ञापन को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग ने कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटील से जवाब मांगा है। चुनाव आयोग ने कटील से पूछा है कि इस ऐड का आधार क्या था? केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से इस फैसले को मंजूरी दे दी गई है। यूं ही किसी पर आरोप नहीं लगाया जा सकता। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने बीजेपी से कहा है कि अगर यह आरोप लगाते हुए विज्ञापन दिया गया है तो उनकी सच्चाई भी जनता के सामने आनी चाहिए।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के ये हैं कुछ रोचक आंकड़े - Karnataka-election-result-2018-here-its-iinteresting  Fact - Amar Ujala Hindi News Live

जहां बीजेपी का रोड शो उसी के विपरीत कांग्रेस का रुतबा

लिहाजा यह कल रात 8 बजे से पहले किया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं किया जाता तो फिर आयोग को जवाब दें कि क्यों ना उनके खिलाफ नियमों के हिसाब से उचित कार्रवाई की जाए। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस बाबत चुनाव आयोग से शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि, बीजेपी की तरफ से लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं।

बता दें कि चुनाव आयोग (ECI) ने कर्नाटक में सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को प्रिंट में कोई विज्ञापन पब्लिश करने से पहले मीडिया सर्टिफिकेशन और निगरानी समिति (MCMC) से मंजूरी लेने के लिए कहा है। यह निर्देश 7 मई को जारी किया गया था। लगातार “असत्यापित” दावों को लेकर शिकायतें सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया। लेकिन अब बीजेपी कोंग्रेस के बीच इस चीज को लेके हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहेगा क्योंकि दोनों ही दल एक दूसरे के कट्टर विरोधी माने जाते है।

 

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