Rajasthan: स्कूल में था ही नहीं कोई मटका, बच्चे की मौत को दिया गया दलित एंगल ?

राजस्थान में जालोर से कुछ दिनों पहले एक दलित बच्चे की उसके टीचर द्वारा मारने पर मौत की खबर सामने आई थी, इस खबर के सामने आते ही पूरे देश में यह एक बड़ा मुद्दा बन गयी थी।

राजस्थान में जालोर से कुछ दिनों पहले एक दलित बच्चे की उसके टीचर द्वारा मारने पर मौत की खबर सामने आई थी इस खबर के सामने आते ही पूरे देश में यह एक बड़ा मुद्दा बन गयी थी। पर अब इस कहानी ने एक नया मोड़ ले लिया हैं। बता दें, यह मामला जैसे-जैसे बढ़ता गया इसकी एक अलग थ्योरी सामने आई जिसमे बच्चे की मौत को लेकर 2 पक्ष बन चुके हैं।

टीचर के ज्यादा जोर से मारने पर हुई बच्चे की मौत

शुरुआत में जब यह बात सामने आई थी तब बच्चे के पिता के अनुसार इंद्र को दलित होने के कारण उसके टीचर ने मटका छूने पर इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। मृतक बच्चा इंद्र राजस्थान में जालोर के सुराणा गांव में सरस्वती बाल विद्या मंदिर की तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले 9 साल के छात्र था। साथ ही इस घटना पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोद ने भी कड़ी निंदा करते हुए मामले की जांच के आदेश दिए थे।

कहानी में आया एक अलग ही मोड़

बच्चे की मौत के बाद आरोपित टीचर को पुलिस ने पहले ही हिरासत में ले लिया था पर अब नई जानकारी के मुताबिक बच्चे कि मौत पर एक दूसरा पक्ष सामने आ रहा हैं जिसमे यह बात सामने आई कि इंद्र और एक अन्य बच्चा चित्रकला की किताब को लेकर लड़ रहे थे। इस पर टीचर छैल सिंह ने दोनों को चांटा मारा था। वहीं, अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक यह सामने आया है कि स्कूल में पानी के लिए कोई मटका है ही नहीं बल्कि वहां बच्चो के लिए एक बड़े टैंक और टैप की व्यवस्था है।

सामने आये कई अन्य तथ्य

मृतक बच्चे के पड़ोसी से बातचीत में सामने आया कि दो साल से इंद्र का परिवार हमारे पड़ोस में रह रहा है। उसके कान में कोई दिक्कत थी। जिसका इलाज भी चल रहा था। उसी के साथ स्कूल के सामने दुकानदार ने कहा कि कई वर्षों से छैल सिंह सर को देख रहा हूं। कभी कोई भेदभाव नहीं रखा। पन्द्रह साल से दुकान चला रहा हूं। कभी ऐसी कोई शिकायत सुनने में नहीं आई।

शिक्षक को बताया निर्दोष

स्कूल के एक टीचर ने बताया कि इस स्कूल में लगभग 60 दलित बच्चे हैं। पहले कभी ऐसा मलमा नहीं हुआ। साथ ही स्कूल के पुराने स्टूडेंट ने कहा कि मैंने यहाँ 2005 से 2013 तक पढ़ाई की है । मैंने तो कभी ऐसा भेदभाव नहीं देखा यह गलत बात फैलाई जा रही है।

 

 

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