सुप्रीम कोर्ट ने टीचर ट्रांसफर केस पर लिया फैसला !
शीर्ष अदालत ने कहा कि 2017 से पहले नियुक्त शिक्षकों को इस समय दूर के जिलों में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। यदि आवश्यक हो तो शिक्षकों का स्थानांतरण नजदीकी जिले या विद्यालय में किया जाए।

शिक्षकों के लिए आई एक अच्छी खबर सामने जिन शिक्षको का 3 साल में एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर होता है उनके लिए सरकारी शिक्षकों का ट्रांसफर अब नजदीकी जिलों में होने का आदेश अब जल्द ही लागू होने वाला है सरकारी शिक्षकों का 3 साल में ट्रांसफर होना तय है सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के तबादले पर बड़ा आदेश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि 2017 से पहले नियुक्त शिक्षकों को इस समय दूर के जिलों में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। यदि आवश्यक हो तो शिक्षकों का स्थानांतरण नजदीकी जिले या विद्यालय में किया जाए।
शिक्षकों के तबादले पर बड़ा आदेश
इस बीच जिन शिक्षकों का स्थानांतरण हो चुका है उनका स्थानांतरण यथावत रहेगा। उन शिक्षकों को मामले के बाद अंतिम फैसले तक इंतजार करना होगा। 2017 से पहले नियुक्त किसी भी शिक्षक का तबादला विकास भवन द्वारा नहीं किया जा सकेगा। शीर्ष अदालत ने कहा, हालांकि, इस अवधि के दौरान 2017 के बाद नियुक्त सभी शिक्षकों को आवश्यकतानुसार राज्य में कहीं भी स्थानांतरित किया जा सकता है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को नोटिस जारी किया है। मामले में अगले चार सप्ताह के भीतर शपथ पत्र जमा करने को कहा गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा,
गौरतलब है कि ऐसी शिकायतें थीं कि डीए आंदोलन में शामिल होने वाले शिक्षकों का दूर-दूर तबादला किया जा रहा है। सरकारी कर्मियों के एक समूह ने विरोध जताया। इसको लेकर कोर्ट में केस दायर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में उस केस का पानी फिर गया। कल उस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से पूछा कि एक महिला टीचर का ट्रांसफर उसके घर से 200 किमी दूर स्कूल में क्यों किया जा रहा है।इस संदर्भ में राज्य का तर्क है कि शिक्षकों का स्थानांतरण उनके अधिकार क्षेत्र में है।
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