#अफ़सोस : 40 साल साल 9 पीएम, मगर नहीं दिलवा पाए इस गांव को “मीठा पानी” !

वर्तमान में इस संसदीय क्षेत्र से सांसद भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी है जो 2019 से अमेठी की रहनुमाई कर रही है

उत्तर प्रदेश का वीवीआइपी जनपद अमेठी जो हमेशा से राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है। जिसका नाम आते ही लोगों के जेहन में आदर्श विकास की बातें आने लगती है।

अमेठी ने सांसद से लेकर प्रधानमंत्री तक दिया

यहां पर लंबे समय से कांग्रेस पार्टी ने राज किया है इस अमेठी ने सांसद से लेकर प्रधानमंत्री तक दिया है। वर्तमान में इस संसदीय क्षेत्र से सांसद भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी है जो 2019 से अमेठी की रहनुमाई कर रही है। लेकिन इसके बावजूद अमेठी तहसील क्षेत्र एवं जिले की सबसे बड़ी ग्राम सभा जंगल रामनगर है इस ग्राम सभा में लगभग 52 पुरवे आते हैं।

इलाका अमेठी का बुंदेलखंड बना हुआ है

जिसमें से लगभग एक दर्जन मजरों में खारे पानी की जबरदस्त समस्या है। इन गांव के लोगों को मीठा पानी मिलता नहीं है। इन दर्जन भर गांवों में जबरदस्त खारा पानी मिलता है जिसे पशु पक्षी अथवा जानवर भी नहीं पीते हैं। ऐसे में ग्रामीणों को बड़ी ही मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। यह इलाका अमेठी का बुंदेलखंड बना हुआ है।

ग्रामीण बताते हैं कि जब राजीव गांधी अमेठी आए और यहां से पहली बार सांसद हुए थे तब वह गांव में आए थे और लोगों ने उनको पानी पिलाया था। वह पानी पी नहीं पाए और तत्काल उन्होंने जल निगम की टंकी स्थापित कर गांव में वाटर सप्लाई पहुंचाने का आदेश निर्देश दिया था।

टंकी से होने वाली सप्लाई कई गांव में बाधित

जिसके बाद सन 1982 में लगभग 2 किलोमीटर दूर मन्नू राम पांडे के पुरवा में जल निगम द्वारा टंकी स्थापित की गई। गांव में वाटर सप्लाई पहुंचाई गई जिससे लोगों की समस्याएं कम हुई। लेकिन धीरे-धीरे समय बीतता रहा परिवार बढ़ते रहे गांव बढ़ता रहा लेकिन सुविधाओं में किसी भी प्रकार की कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। जिसके कारण आज आलम यह है कि उस पानी की टंकी से होने वाली सप्लाई कई गांव में बाधित है।

दूर जाकर लाइन लगाकर हैंडपंप से पानी भर कर लाते हैं

जहां पर चलती भी है वहां पर महीने में 20 दिन पानी ही नहीं आता है 10 दिन थोड़ा बहुत पानी मिलता है। बाकी अन्य दिनों में लोग दूर गांव से मीठा पानी भरकर लाते हैं जिससे खाना बनाने, नहाने धोने और जानवरों को पिलाने का कार्य करते हैं। लगभग दर्जनभर गांव के लोगों को तो महीने में 1 दिन भी राहत नहीं मिलती है अर्थात तीसों दिन गांव के बाहर 1 से 2 किलोमीटर दूर जाकर लाइन लगाकर हैंडपंप से पानी भर कर लाते हैं और अपना रोजमर्रा का काम करते हैं।

बच्चे पानी ढोने के चक्कर में स्कूल के लिए लेट होते हैं

यहां के लोग बताते हैं कि ज्यादा समय उनका पानी ढोने में ही गुजर जाता है। सुबह शाम साइकिल में डिब्बा टांग कर गांव से दूर जाते हैं और पानी भरकर लाते हैं। जिसके कारण तमाम तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है। पढ़ने वाले बच्चे कभी-कभी इसी पानी ढोने के चक्कर में स्कूल के लिए लेट होते हैं। तो नौकरीपेशा करने वाले लोग भी इससे अछूते नहीं रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या से समय-समय पर जो भी इस विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्र की रहनुमाई की कर रहे होते हैं उन सभी विधायकों सांसदों को अवगत कराया गया।

सैकड़ों साल की समस्या से निजात मिल सकती है

लेकिन किसी के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। जिसके कारण गांव के लोग धीरे-धीरे मायूस होने लगे हैं अब उनको कहीं से कोई उम्मीद नहीं दिखती है कि उनकी समस्या का समाधान होगा। ऐसे में ग्रामीणों ने मीडिया को देखकर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब लगता है हमारी बात सरकार तक पहुंचेगी और कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा। ऐसे में इस गांव के लोगों ने मांग की है कि इस दर्जनभर गांवों के लिए कम से कम जल निगम के द्वारा दो टंकी स्थापित कराई जाए और घर घर नई पाइप लाइन बिछाकर शुद्ध और मीठा पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। तभी हम लोगों की यह सैकड़ों साल की समस्या से निजात मिल सकती है।

 

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