# विश्लेषण : जानिए अशोक स्तम्ब के ‘धम्म नीति’ की पूरी सच्चाई !

अशोक ने अपनी प्रजा को नैतिक रूप से विनम्र बनाने और सामाजिक व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने का फैसला किया था

सोमवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहे नए संसद भवन का दौरा किया। इस दौरान पीएम मोदी ने निर्माणाधीन संसद भवन की छत पर लगे राज्य चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया। यह मूर्ति 6.5 मीटर ऊंची है, जिसका वजन 9500 किलो बताया जा रहा है।

मंत्रोच्चार के साथ सभी रस्में पूरी कीं

अशोक के सिंह स्तंभ से परदा हटाने के बाद पीएम मोदी ने उसके नीचे बैठकर हिंदू रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना की। दो पुजारियों को बुलाया गया, जिन्होंने मंत्रोच्चार के साथ सभी रस्में पूरी कीं। पूजा में पीएम मोदी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी बैठे थे। मोदी ने अशोक स्तंभ पर चंदन का टीका लगाया, अक्षत और जल छिड़का, इस दौरान पुजारी मंत्र का जाप करते रहे।

अपनाने के बाद अशोक ने कर्मकांडों पर रोक लगा दी

कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध की नीति को त्याग दिया और ‘धम्म’ की नीति अपनाई। यह युद्ध 261 ईसा पूर्व में महान मौर्य साम्राज्य और कलिंग राज्य के बीच लड़ा गया था। धम्म शब्द धर्म का प्राकृत रूप है। सीधे शब्दों में कहें तो धम्म नैतिक नियम था। जिसे अशोक ने अपनी प्रजा को नैतिक रूप से विनम्र बनाने और सामाजिक व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने का फैसला किया था। धम्म की नीति अपनाने के बाद अशोक ने कर्मकांडों पर रोक लगा दी।

धम्म में किसी देवता के पूजा की आवश्यकता नहीं होती। अशोक ने धम्म को विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच फैलान का प्रयास किया। अशोक ने धम्म के प्रचार के लिए अपने पूरे साम्राज्य में स्तंभों का निर्माण कराया था। उन्हीं स्तम्भों में से एक था, सारनाथ का सिंह स्तम्भ, जिसे भारत सरकार ने 26 जनवरी, 1950 को अपने राजकीय प्रतीक के रूप में अपनाया।

एक ही पत्थर को तराश कर बनाया

सारनाथ का अशोक स्तम्भ मौर्य स्तम्भ कला का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है। मूल स्तंभ को उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। अशोक के सिंह स्तंभ के शीर्ष पर चार सिंह हैं, जिनकी पीठ एक-दूसरे की ओर है। यही कारण है कि सामने से केवल तीन शेर ही दिखाई देते हैं। मूल स्तंभ चुनार के बलुआ पत्थर को काटकर बनाया गया है।

यह स्तंभ मोनोलिथ यानी एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है। जिस चबूतरे पर शेर की मूर्ति स्थापित है। उसमें एक हाथी, एक घोड़े की चौकड़ी, एक बैल और एक सिंह की आकृतियाँ उभरी हुई हैं, जिसके बीच में चक्र हैं। मुंडकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ मंच के नीचे देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- ‘सत्य की ही जीत होती है।

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