ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: टीम ने कहा- “अंदर मुस्लिम पक्ष था मौजूद”, सुनवाई इस दिन तक टली !

AIMIM के प्रमुख इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेशन कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र इन दिनों चर्चा में हैं। इस बार चर्चा का विषय केवल काशी विश्वनाथ ही नहीं बल्कि ज्ञानवापी मस्जिद भी बना हुआ हैं। बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे को देखते हुए पुलिस फोर्स और पीएसी को तैनात किया गया। वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर में ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर कुछ इलाकों की वीडियोग्राफी और सर्वे शनिवार को रोक दिया गया था कारण यह रहा कि वकीलों की टीम को मस्जिद के अंदर प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।

कोर्ट ने किया आदेश :
आज के लिए वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर के क्षेत्रों की वीडियोग्राफी और सर्वे जारी रखने का आदेश दिया था। अदालत द्वारा नियुक्त एक अधिकारी और वकीलों की एक टीम द्वारा शुक्रवार को इलाके के पास निरीक्षण करने के बाद इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। काशी विश्वनाथन मंदिर-ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद से सटे श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति मांगने के लिए वाराणसी की एक अदालत में याचिका दायर होने के बाद शुक्रवार को और शनिवार को यह सर्वे किया गया।

बता दें, आज अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दिए गए प्रार्थना पत्र पर ये सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में हुई। उन्होंने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तिथि 9 मई नियत की हैं।

AIMIM के प्रमुख ने कहा :
इस मामले में AIMIM के प्रमुख इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेशन कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। इस आदेश से कोर्ट 1980-1990 के दशक की रथ यात्रा के दौरान हुए खून-खराबे और मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रही है। ओवैसी ने कहा कि सर्वेक्षण करने का ऑर्डर 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है।”

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