लखनऊ नगर निगम में निर्विरोध चुने गए 6 कार्यकारिणी सदस्य, छह में से 5 भाजपा व एक सपा के सदस्य

लखनऊ नगर निगम की कार्यकारिणी के लिए छह सदस्यों का चुनाव निर्विरोध हो गया है। कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा जिससे मतदान करने की नौबत नहीं आई। भाजपा-सपा के घोषित प्रत्याशी कार्यकारिणी में चुन लिए गए।

लखनऊ : नगर निगम की कार्यकारिणी के खाली छह पदों पर भाजपा के पांच और सपा के एक प्रत्याशी को निर्विरोध चुन लिया गया। कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। नगर निगम चुनाव को लेकर भाजपा ने पांच और सपा ने एक प्रत्याशी का नाम तय किया था। नगर निगम सदन की विशेष बैठक कार्यकारिणी के 6 सदस्यों का चुनाव किया गया। इसमें बीजेपी से पांच और सपा से एक सदस्य का चुनाव हुआ।

नगर निगम की 12 सदस्यीय कार्यकारिणी के छह सदस्य 14 जून को लाटरी डालकर रिटायर किए गए थे। उन्हीं रिक्त पदों पर चुनाव हुआ। जो छह सदस्य रिटायर हुए थे, उनमें भाजपा के पांच और सपा का एक सदस्य शामिल था। उसी हिसाब से दोनों दलों ने प्रत्याशी तय किए हैं, ताकि क्रॉस वोटिंग और चुनाव की नौबत न आए।

चुने गए सदस्यों का नाम

भाजपा के चुने गए सदस्यों में बाबू जगजीवन राम वार्ड के पार्षद भृगुनाथ शुक्ला, कुंवर ज्योति प्रसाद वार्ड की गौरी सांवरिया, मोती लाल नेहरू चंद्रभानु गुप्त वार्ड की चरनजीत गांधी, बाजार कालीजी चौक के अनुराग मिश्रा अन्नू और खरिका प्रथम वार्ड के कृष्ण कुमार का नाम शामिल हैं। वहीं, सपा की अंबरगंज वार्ड की पार्षद सबा अहसन को चुना गया है।

सपा- भाजपा के अलावा अन्य कोई नहीं उतारा प्रत्याशी

कांग्रेस के सदन में महज तीन पार्षद हैं। ऐसे में वह चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं थी। बीते साल मुकेश सिंह चौहान ने चुनाव लड़ने का दावा किया था लेकिन ऐन मौके पर पर्चा दाखिल नहीं किया। इस बार किसी ने दावा नहीं किया है। वहीं, बसपा से अमित चौधरी अकेले पार्षद थे, जो तीन महीने पहले भाजपा में शामिल हो गए।

पदेन सदस्यों को मिलाकर कुल 131 नगर निगम में है

नगर निगम सदन में सदस्यों की संख्या 131 है। जिसमें भाजपा के 83 पार्षदों व महापौर सुषमा खर्कवाल समेत 18 पदेन सदस्य मिलाकर कुल 101 सदस्य लेकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में हैं। वही समाजवादी पार्टी के 25 पदेन सदस्य, 22 पार्षद व 3 पदेन सदस्यों के साथ दूसरे नंबर पर है।

इसके अतिरिक्त कांग्रेस के मात्र दो पार्षद हैं। बसपा का नेतृत्व तक करने वाला कोई नहीं है। इस बार सदन में मात्र एक पार्षद अमित चौधरी बसपा से चुनाव जीत कर सदन पहुंचे थे, लेकिन बाद मे उन्होंने भी भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसके बाद एक भी पदेन सदस्य न होने व पार्षदों की संख्या भी न होने से पार्टी का नेतृत्व करने वाला कोई नहीं है।

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