‘Tajmahal’ के 22 बंद कमरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; कहा, पहले रिसर्च करो फिर…
बंद कमरों को खोलने की मांग वाली ताजमहल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि...
बंद कमरों को खोलने की मांग वाली ताजमहल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह याचिका जनहित के बजाय प्रचार के लिए दायर की गई है। इसलिए यह याचिका खारिज की जा रही है।
हाईकोर्ट के फैसले को ठहराया सही
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी ऐसा ही फैसला दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट का फैसला सही है।
क्या थी याचिका में मांग?
याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह की ओर से सबसे पहले हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया था। जिसमें ताजमहल के बंद 22 कमरे खोलने की मांग की है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि ताजमहल में किस देवता की मूर्ति या शिलालेख है या नहीं। ताजमहल के ये 22 कमरे दशकों से बंद हैं। इतिहासकारों के अनुसार मुख्य मकबरे और अन्य इमारतों के तल के नीचे 22 कमरे हैं। वे अभी भी बंद हैं।
हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि पहले आप विश्वविद्यालय में प्रवेश लें, पीएचडी करें, जानकारी जुटाएं और उसके बाद ही इस विषय पर उचित शोध करें।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिका पर न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि कमरों को खोलने की मांग के लिए किसी ऐतिहासिक शोध की जरूरत है? इस पर विचार किया जा रहा है। चूंकि हम रिट याचिका पर विचार करने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए उक्त याचिका खारिज की जाती है।
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