‘PM Modi Speech’: PM ने कानून मंत्रियों को किया आगाह, कहा- न्याय व्यवस्था पर विश्ववास स्वस्थ समाज के लिए है जरुरी !

'प्रधानमंत्री' (Prime Minister) नरेंद्र मोदी आज कानून मंत्रियों और कानून सचिव के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नजर आ रहें हैं।

‘प्रधानमंत्री’ (Prime Minister) नरेंद्र मोदी आज कानून मंत्रियों और कानून सचिव के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नजर आ रहें हैं। इस दौरान पीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात में आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया है। बता दें कि इस न्याय व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, उपयुक्त बदलाव लाने संबंधी विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये हैं।

PM ने भारतीय सम्मेलन का किया उद्घाटन

आपको बता दें कि, पीएम मोदी ने इस सभा को संबोधित करते हुए कहा है कि, ऐसे में जब आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस सिलसिले में लोकहित को ध्यान में रखते हुए सरदार पटेल की प्रेरणा से आप सभी को सही दिशा प्रदान करेगी और आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचाएगी।

  • कानून मंत्रियों और सचिवों को पीएम मोदी ने मंत्र दिया है।
  • कानून बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि यह गरीबों को भी आसानी से समझ आ जाए।
  • किसी भी आम नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने।
  • इस बात का खास ख्याल रखा जाये।

टेक्नोलॉजी न्याय व्यवस्था का है अभिन्न अंग

  • युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा।
  • लॉ से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो।
  • हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं।
  • हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो।
  • टेक्नोलॉजी आज न्याय व्यवस्था का अभिन्न अंग बन गई है।
  • आज देश में ई-कोर्ट्स मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है।

महत्वपूर्ण जानकारियां

  • भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है।
  • यह तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है।
  • समाज प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए, खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है।
  • कायदे-कानूनों, कुरीतियों को, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है।
  • प्रधानमंत्री ने लोक अदालतों के माध्यम से देश में लाखों केसों को सुलझाया है।
  • खासतौर पर, गांव में रहने वाले लोगों को, गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है।
  • देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए।
  • देश ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है।
  • इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे हैं।

 

 

 

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